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तीन तलाक : सहारनपुर की आतिया ने सबसे पहले उठाई थी आवाज

तीन तलाक के मुददे पर सबसे पहले आवाज सहारनपुर से उठाई गई थी। यहां की बेटी आतिया साबरी ने जनवरी 2017 में तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके बाद देशभर से पीड़ित महिलाओं ने इस पर...

तीन तलाक : सहारनपुर की आतिया ने सबसे पहले उठाई थी आवाज
सहारनपुर, हमारे संवाददाताThu, 20 Sep 2018 05:33 AM
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तीन तलाक के मुददे पर सबसे पहले आवाज सहारनपुर से उठाई गई थी। यहां की बेटी आतिया साबरी ने जनवरी 2017 में तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके बाद देशभर से पीड़ित महिलाओं ने इस पर खुलकर बात शुरू की थी। सहारनपुर के मौहल्ला आली तेली वाला चौक निवासी अतिया साबरी  ने अपने हक के लिए समाज की बंदिशों को तोड़कर कानूनी की लड़ाई शुरू की थी। सोशल साइंस और इंग्लिश से एमए करने वाली अतिया साबरी का निकाह 2012 को हरिद्वार के जसोधरपुर गांव निवासी वाजिद अली से हुआ। दो बेटियां होने पर पति ने शादी के पौने दो साल बाद ही उस एक पत्र भेजकर तलाक दे दिया था। अतिया ने आठ जनवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। 

प्रधानमंत्री से मिल धन्यवाद दूंगी : आतिया

सरकार द्वारा तीन तलाक अध्यादेश को मंजूरी देने के बाद आतिया साबरी ने केंद्र सरकार का आभार जताया है। आतिया साबरी का कहना है कि मोदी सरकार ने वो काम किया है जिसके बारे में आज तक कोई सोच भी नहीं पाया। उन्होंने कहा कि वे खुद प्रधानमंत्री से मुलाकात कर उनका धन्यवाद करूंगी। 

हमारी लड़ाई को जीत मिली है: शबनम

तीन तलाक, बहु विवाह और हलाला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाली एसिड अटैक पीड़िता बुलंदशहर के जौलीगढ निवासी शबनम का कहना है कि यह निर्णय बहुत पहले हो जाना चाहिए था। यह हमारी लड़ाई की जीत है और हमें उम्मीद है कि अब मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिलेगा। उनका उत्पीड़न नहीं हो सकेगा।

इशरत जहां ने स्वागत किया

‘तीन तलाक’ मामले में याचिकाकर्ता इशरत जहां ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इस प्रथा को दंडनीय अपराध बनाने के लिए अध्यादेश लाने के फैसले का स्वागत किया। इशरत जहां ने कहा कि यह देश में मुस्लिम महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पुरुषों और मजहबी नेताओं को अपना रास्ता दुरुस्त करना चाहिए या अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के लिए अध्यादेश लाने के केंद्र के फैसले का स्वागत करती हूं। 

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