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आंखों देखी: दशहरा देख रही भीड़ को कुचलती रही ट्रेन, बिखरती रहीं लाशें

अमृतसर में शुक्रवार रात हुए रेल हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ट्रेन का हॉर्न तभी बजा, जब वह भीड़ के एकदम पास पहुंच गई। अगर भीड़ के करीब पहुंचने के पहले ही हॉर्न बज जाता, तो कई लोगों की जान...

आंखों देखी: दशहरा देख रही भीड़ को कुचलती रही ट्रेन, बिखरती रहीं लाशें
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 19 Oct 2018 11:04 PM
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अमृतसर में शुक्रवार रात हुए रेल हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ट्रेन का हॉर्न तभी बजा, जब वह भीड़ के एकदम पास पहुंच गई। अगर भीड़ के करीब पहुंचने के पहले ही हॉर्न बज जाता, तो कई लोगों की जान बच जाती। हादसे के वक्त वहां काफी अधिक संख्या में लोग मौजूद थे। हादसे के बाद किसी को कुछ समझ नहीं आया, लोग इधर-उधर भागने लगे। ट्रेन के गुजरने के बाद पटरी के दोनों तरफ शव बिखरे पड़े थे। कई शवों की हालत इतनी खराब थी कि उनकी पहचान करना मुश्किल था।

ट्रेन गुजरने के बाद इधर-उधर भागे

एक चश्मदीद ने इस हादसे के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि और जो भी इसके लिए जिम्मेदार हैं उन पर कार्रवाई हो। अन्य लोगों ने बताया कि वहां भगदड़ जैसी कोई बात नहीं थी। रावण के जलने के दौरान ट्रेन वहां से गुजरी, उसके बाद लोग इधर-उधर भागे। ट्रेन की रफ्तार भी काफी तेज थी। एक व्यक्ति ने बताया कि जब ट्रेन लोगों के बिल्कुल करीब पहुंच गई, तब ट्रेन के ड्राइवर ने हॉर्न बजाया। अगर वह काफी पहले से गति धीमी कर हॉर्न बजाता तो हादसा इतना भयावह नहीं होता। 

भाग गईं नवजोत कौर सिद्धू

घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि नवजोत कौर सिद्धू वहां मुख्य अतिथी थीं। हादसे के ठीक बाद वे वहां से निकल गईं। लोगों उनके प्रति गुस्सा जाहिर किया। उनका कहना था कि वे क्षेत्र की नेता हैं, उन्हें बचाव कार्य में सहयोग करना था, इसकी बजाय वे भाग निकलीं। लोगों में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के प्रति भी लोगों में नाराजगी थी क्योंकि वे कई घंटे बाद भी वहां नहीं पहुंचे थे। घटनास्थल पर मौजूद लोगों को कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या किया जाए। रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ शव इस तरह बिखरे पड़े थे कि लोगों को 1947 का मंजर याद गया। 

किसी का हाथ तो किसी का सिर गायब

घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने कहा कि पटरियों पर शव इस तरह बिखरे हैं, जैसे पता नहीं क्या हो गया हो। वहां के मंजर ने 1947 के विभाजन की याद दिला थी। तब भी पटरियों के आसपास ऐसे दृश्य थे। लोगों ने बताया कि कई शवों की स्थिति बहुत खराब है। किसी का हाथ गायब है तो किसी का सिर। कई शव ऐसे हैं जिसमें गर्दन कहीं ओर है, सीने और पेट हिस्सा कहीं ओर। किसी के कमर के नीचे का हिस्सा कटकर दूर उछल गया। ऐसे शव भी हैं, जिन्हें पहचान पाना मुश्किल है। घटनास्थल पर मौजूद कई लोग शवों की हालत देखकर बेसुध हो गए। 

फिल्मों में देखा था ऐसा दृश्य

एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि उन्होंने फिल्मों में इस तरह का दृश्य देखा था, लेकिन यह नहीं सोचा था कि उन्हें अपनी आंखों के सामने इस तरह कुछ देखना पड़ेगा। अपने बच्चों को रावण दहन दिखाने पहुंचे एक बुजुर्ग ने बताया कि हमने अमृतसर में ऐसा हादसा कभी नहीं देखा था। उन्होंने अपने बच्चों को रेलवे ट्रैक से काफी दूर रखा था। परन्तु उसके आसपास की स्थिति बहुत भयावह थी।

हादसे के बाद अपनों की तलाश

एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा- हादसे का मंजर देखा नहीं जा सकता। ट्रैक के आसपास खून से लथपथ लाशें बिखरीं हैं। हर तरफ से लोगों के रोने-बिलखने की आवाज आ रही थीं। हादसे के बाद लोग अपने परिजन को तलाश रहे हैं। एम्बुलेंस को वहां पहुंचने में काफी वक्त लगा, क्योंकि ऐसा सीधा कोई रास्ता नहीं था। पुलिस की गाड़ियां घटनास्थल पर पहले पहुंचीं, उसके बाद राहत कार्य शुरू हो सका था।

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