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बंगाल में भाजपा के लिए कठिन है बहुमत की लड़ाई, मोदी के अभियान पर टिका सरकार बनाने का सपना

पश्चिम बंगाल की चुनावी बिसात पर उम्मीदवारों के उतरने के साथ ही राजनीतिक जंग तेज हो गई है। दूसरे दलों से बड़ी संख्या में आए नेताओं से अपनी ताकत बढ़ाने के बाद भाजपा का पश्चिम बंगाल का चुनाव अभियान अब...

बंगाल में भाजपा के लिए कठिन है बहुमत की लड़ाई, मोदी के अभियान पर टिका सरकार बनाने का सपना
रामनारायण श्रीवास्तव, हिन्दुस्तान,नई दिल्ली।Mon, 08 Mar 2021 12:01 AM
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पश्चिम बंगाल की चुनावी बिसात पर उम्मीदवारों के उतरने के साथ ही राजनीतिक जंग तेज हो गई है। दूसरे दलों से बड़ी संख्या में आए नेताओं से अपनी ताकत बढ़ाने के बाद भाजपा का पश्चिम बंगाल का चुनाव अभियान अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द सिमटता जा रहा है। मोदी के चुनाव प्रचार अभियान से पार्टी को बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं। उन्हें लगता है कि वह इससे बहुमत के जादुई आंकड़े को छू सकती है। हालांकि, ममता बनर्जी की जमीनी पकड़ को लेकर उसकी चिंताएं बरकरार हैं।

पश्चिम बंगाल के चुनाव भाजपा के लिए उसकी भावी रणनीति को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि वह इन चुनावों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। देशभर के पार्टी के प्रमुख नेताओं की एक बड़ी फौज चुनाव प्रचार मैदान में उतरने जा रही है, जो राज्य की सभी 294 विधानसभा सीटों पर प्रचार करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी लगभग डेढ़ दर्जन सभाएं कराने की तैयारी है, जबकि गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा लगभग 100 सभाएं कर सकते हैं। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी जैसे नेताओं की भी दर्जनों सभाओं की तैयारी की जा रही है।

हर चरण के लिए स्टार प्रचारकों की सूची जारी होगी

आठ चरण में मतदान होने से भाजपा को अपने अलग-अलग नेताओं को सामाजिक, राजनीतिक और भौगोलिक समीकरण के अनुसार अलग-अलग क्षेत्रों में प्रचार मैदान में उतारने की सहूलियत मिली है। पार्टी हर चरण के लिए अपने स्टार प्रचारकों की अलग-अलग सूची जारी करेगी, जिसमें लगभग एक दर्जन स्टार प्रचारक तो सभी चरणों में प्रचार करेंगे, लेकिन बाकी प्रचारक हर चरण के साथ बदलते रहेंगे। इस सबमें सबसे अहम भूमिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही रहेगी। वह चुनावी पोस्टरों में तो उनका चेहरा रहेगा ही, साथ ही सारी सभाओं में उनकी थीम को पार्टी के बाकी नेता लेकर आगे बढ़ेंगे।

बहुमत तक की लड़ाई अभी कठिन

सूत्रों के अनुसार, भाजपा को अपने विभिन्न अंदरूनी आकलन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मिले फीडबैक के अनुसार बहुमत तक की लड़ाई बहुत कठिन है। पार्टी ने अपने लिए 200 पार का लक्ष्य रखा है, लेकिन उसे बहुमत के आंकड़े 148 सीटों के लिए भी काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। इसके लिए वह बंगाल के नामचीन चेहरों को अपने साथ जोड़ने में लगी हुई है, जिनमें फिल्मी सितारों से लेकर दूसरे प्रमुख क्षेत्रों के विशिष्ट व्यक्ति शामिल हैं। ताकि भद्रलोक में वह संदेश दे सके कि भाजपा भी बंगालियों की ही पार्टी है। क्योंकि तृणमूल कांग्रेस के नेता यह माहौल बनाने में लगे हैं कि भाजपा का मुख्यमंत्री भले ही बंगाली बने, लेकिन उसका रिमोट कंट्रोल तो दिल्ली में ही उन लोगों के हाथ में रहेगा, जो बंगाली नहीं होंगे।

ऐसे में भाजपा बंगाली अस्मिता को विराट स्वरूप दे रही है और कह रही है कि बंगाल सीमाओं में सिमट कर नहीं रहा, बल्कि उसने पूरे विश्व को अपना विशिष्ट नेतृत्व दिया है। भाजपा नेता आम बंगाली के दिमाग में यह बात बिठा रहे हैं कि भाजपा श्यामा प्रसाद मुखर्जी की बनाई बंगाल की ही पार्टी है। वह बंगाल के हितों के लिए पूरी तरह समर्पित है।

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