RSS की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक का खाका तैयार, राष्ट्रीय सुरक्षा समेत इन मसलों पर होगी चर्चा
रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में संघ प्रेरित विविध संगठनों के अखिल भारतीय संगठन मंत्री भी शामिल होंगे। इसमें भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और संघ प्रेरित 35 विविध संगठनों के प्रमुख भी हिस्सा लेंगे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय समन्वय बैठक अगले सप्ताह पुणे में आयोजित होगी, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति से लेकर देश के सामाजिक-आर्थिक हालात सहित कई मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि आरएसएस की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक 14 सितंबर को शुरू होगी। इसमें सरसंघचालक मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और सभी पांच सह सरकार्यवाह... डॉ. मनमोहन वैद्य, डॉ. कृष्ण गोपाल, सी.आर. मुकुंद, अरुण कुमार और रामदत्त शामिल होंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में संघ प्रेरित विविध संगठनों के अखिल भारतीय संगठन मंत्री भी शामिल होंगे। इसमें भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और संघ प्रेरित 35 विविध संगठनों के प्रमुख भी हिस्सा लेंगे। इन संगठनों में राष्ट्र सेविका समिति, विश्व हिंदू परिषद, वनवासी कल्याण आश्रम, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय किसान संघ, विद्या भारती, भारतीय मजदूर संघ, संस्कार भारती, संस्कृति भारती, सेवा भारती आदि शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, बैठक 16 सितंबर को समाप्त होगी।
बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा के आसार
मीटिंग में वर्तमान राष्ट्रीय परिदृश्य के साथ ही सामाजिक समरसता, पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन, सेवा कार्य, सामाजिक, आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विभिन्न विषयों पर व्यापक विचार-विमर्श किया जाएगा। इसमें सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न क्षेत्रों में करणीय कार्यों पर भी चर्चा होगी। पिछले वर्ष आरएसएस की अखिल भारतीय समन्वय बैठक छत्तीसगढ़ में हुई थी। दूसरी ओर, RSS के सीनियर पदाधिकारी ने कहा कि इस्लामिक आक्रमण के कारण भारतीय समाज में बाल विवाह, सती प्रथा, विधवा पुनर्विवाह पर प्रतिबंध जैसी सामाजिक बुराइयां उत्पन्न हुईं। इसके चलते महिलाओं का दमन किया गया।
आरएसएस के सीनियर पदाधिकारी कृष्ण गोपाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में आयोजित 'नारी शक्ति संगम' नामक कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मध्यकाल में महिलाओं और लड़कियों को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए उन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे। उन्होंने मध्यकाल को बहुत ही कठिन समय बताते हुए कहा, 'पूरा देश पराधीनता से जूझ रहा था। मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया, बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया गया और महिलाओं को खतरे में डाल दिया गया। दुनिया भर में लाखों महिलाओं का अपहरण कर उन्हें बाजारों में बेच दिया गया। चाहे वह अहमद शाह अब्दाली, मुहम्मद गौरी या महमूद गजनी हो, इन सभी ने यहां से महिलाओं को ले जाकर दुनिया भर के बाजारों में बेचा। वह अत्यंत अपमान का युग था।'
