ट्रेंडिंग न्यूज़

अगला लेख

अगली खबर पढ़ने के लिए यहाँ टैप करें

Hindi News देशमुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से भी ऊपर है यह कानून, भारतीयता धर्म से भी ऊपर; केरल HC ने कही बड़ी बातें

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से भी ऊपर है यह कानून, भारतीयता धर्म से भी ऊपर; केरल HC ने कही बड़ी बातें

केरल हाइकोर्ट ने चाइल्ड मैरिज एक्ट पर बोलते हुए कहा कि चाइल्ड मैरिज एक्ट सभी धर्मों पर लागू होता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किस धर्म का है, वह भारत का नागरिक है तो उसको यह कानून मानना ही होगा।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से भी ऊपर है यह कानून, भारतीयता धर्म से भी ऊपर; केरल HC ने कही बड़ी बातें
Upendra Thapakलाइव हिन्दुस्तान,केरलSun, 28 Jul 2024 07:07 AM
ऐप पर पढ़ें

केरल हाइकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि बाल विवाह विरोधी नियम 2006, बिना किसी धार्मिक भेदभाव के समान रूप से सभी भारतीयों के ऊपर लागू है। जस्टिस पी वी कुन्निकृष्णणन ने यह भी साफ किया कि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के भी ऊपर है, जिसमें बच्चों की शादी को मान्यता दे दी जाती है। जस्टिस ने कहा कि नागरिकता पहले है और धर्म बाद में, इसलिए यह कानून हर भारतीय पर बिना किसी भेदभाव के लागू होगा।

बेंच ने हाल ही में पलक्कड़ में एक बाल विवाह के मामले में आरोपी की याचिका को खारिज करते हुए यह निर्देश जारी किया। माननीय न्यायालय ने आरोपी पिता और कथित पति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके विरोध दायर किया गया केस रद्द कर दिया जाए। कोर्ट का यह फैसला एक ऐसे समय में आया है जबकि भाजपा शासित असम में कई अल्पसंख्यक लोग बाल विवाह करवाते पकड़े गए हैं।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दुहाई देते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कोई भी मुस्लिम लड़की अगर प्यूबर्टी तक पहुंच जाती है तो पर्सनल लॉ बोर्ड के हिसाब से वह शादी के लिए तैयार है और केंद्र उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। याचिका कर्ताओं ने कहा कि यह बाल विवाह विरोधी कानून उनके पर्सनल लॉ बोर्ड के खिलाफ है और उनके अधिकारों का हनन कर रहा है।

हालांकि हाइकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की सभी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि यह कानून किसी पर्सनल लॉ बोर्ड या किसी भी धर्म से भी ऊपर है। पूरे भारत में और भारत के बाहर रहने वाले भारतीय नागरिकों को भी यह नियम मानना ही होगा , इसमें किसी भी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।, इसमें किसी भी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।

जस्टिस कृष्णणन ने कहा कि बाल विवाह रोकना हमारे आधुनिक समाज का हिस्सा है। आज के दौर में यह कहीं से भी जायज नहीं है कि एक बच्चे कि शादी कर दी जाए। यह उस बच्चे के मानवीयअधिकारों का उल्लंघन है।  बच्चों को पढ़ने दिया जाए, घूमने दिया जाए,अपनी जिंदगी को जीने दिया जाए और फिर जब वह उस उम्र में आ जाए तो उन्हें खुद से यह फैसला लेने दिया जाए कि वह किससे शादी करते हैं।