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ये हमारा काम नहीं, संसद जाइए; दोहरी नागरिकता की मांग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाई खरी-खरी

दोहरी नागरिकता की अनुमति की मांग करने वाले याचिका में इस बात की दलील दी गई थी इससे भारत के संबंध विकसित देशों के साथ मजबूत होंगे और नए निवेश और वित्तपोषण के अवसर खुलेंगे।

ये हमारा काम नहीं, संसद जाइए; दोहरी नागरिकता की मांग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाई खरी-खरी
Himanshu Tiwariलाइव हिन्दुस्तान ,नई दिल्लीWed, 31 Jul 2024 05:58 PM
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दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को भारतीय प्रवासियों के लिए दोहरी नागरिकता की अनुमति देने की याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा पर व्यापक प्रभाव डालता है, जो अदालतों द्वारा अनुमति से देने से परे है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस पर निर्णय लेना संसद का काम है, न कि अदालतों का। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की पीठ ने कहा कहा, "यह अदालतों का विषय नहीं है। यह संसद के लिए है, हम कानून नहीं बना सकते। कृपया वहां जाइए।"

दोहरी नागरिकता की अनुमति की मांग करने वाले याचिका में इस बात की दलील दी गई थी इससे भारत के संबंध विकसित देशों के साथ मजबूत होंगे और नए निवेश और वित्तपोषण के अवसर खुलेंगे। याचिका में यह भी बताया गया कि 130 देशों ने कुछ सीमाओं के साथ दोहरी नागरिकता को स्वीकार किया है, जिससे यह भारत के संबंधों को प्रगति देने में सहायक होगा।

याचिका ने यह भी उल्लेख किया कि केंद्र द्वारा गठित भारतीय प्रवासियों पर उच्च स्तरीय समिति ने वैश्वीकरण के बढ़ते आयामों को देखते हुए संसद से दोहरी नागरिकता की अनुमति देने की अपील की है। याचिका में कहा गया है, "भारत का संविधान संविधान के लागू होने के बाद किसी भी तरह से दोहरी नागरिकता पर रोक नहीं लगाता है और ऐसे मामलों को संसद द्वारा अपनी संवैधानिक सीमाओं के भीतर तय करने के लिए छोड़ दिया गया है।"

इसके अतिरिक्त, याचिका ने यह भी तर्क किया कि नागरिकता अधिनियम की धारा 9(1) के तहत कोई भी व्यक्ति दूसरे देश की नागरिकता लेने पर भारतीय नागरिकता खो देता है, जो असंवैधानिक है क्योंकि संविधान यह मानता है कि स्वैच्छा से विदेशी नागरिकता हासिल करना भारतीय नागरिकता परित्याग के समान है। याचिका का कहना है कि यह धारणा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 द्वारा गारंटीकृत सांस्कृतिक अधिकारों की पूर्ति में बाधा डालती है।