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विजय दिवस: कारगिल जैसी चूक की गुंजाइश दोबारा नहीं

सेना पाकिस्तान सीमा पर अब बेहद सतर्क है। कारगिल युद्ध के 18 सालों के बाद सेना की यह बड़ी कामयाबी है कि आतंकियों को अपने मंसूबों में सफलता नहीं मिली। हालांकि सेना के सूत्र दावा करते हैं कि बर्फबारी...

विजय दिवस: कारगिल जैसी चूक की गुंजाइश दोबारा नहीं
नई दिल्ली,, मदन जैड़ाWed, 26 Jul 2017 07:52 AM
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सेना पाकिस्तान सीमा पर अब बेहद सतर्क है। कारगिल युद्ध के 18 सालों के बाद सेना की यह बड़ी कामयाबी है कि आतंकियों को अपने मंसूबों में सफलता नहीं मिली। हालांकि सेना के सूत्र दावा करते हैं कि बर्फबारी शुरू होने पर बड़ी घुसपैठ की कोशिशें हर साल होती हैं। लेकिन सेना की कड़ी चौकसी एवं त्वरित प्रतिक्रिया इन प्रयासों को विफल कर रही हैं।

रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल अफसीर करीम के अनुसार, यह कहना भी ठीक नहीं होगा कि जब कारगिल युद्ध हुआ था तब हमारे पास इंतजाम नहीं थे। तब भी हमारी क्षमता अपनी सीमाओं की रक्षा करने की थी। लेकिन तब चूक यह हुई कि बर्फबारी के दौरान कारगिल और अन्य ऊंचाई वाले स्थानों से सेना नीचे बुला ली गई, जिसका फायदा आतंकियों ने उठाया। लेकिन अब ऐसा नहीं होता है। जहां तक देश की सरहद है, वहां बारहों महीने सेना की तैनाती रहती है। भले ही वहां बर्फ जमी रहे।

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सीमा पर खतरे

नकली नोटों का कारोबार, आतंकी घुसपैठ, ड्रग्स के अलावा हथियारों और मवेशियों की तस्करी, अवैध प्रवासियों की आवाजाही

घुसपैठ की 15 घटनाएं

इस साल छह महीनों में कश्मीर में घुसपैठ की 115 घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन सेना एवं सुरक्षा बलों की चौकसी ने इनमें से ज्यादातर को विफल कर दिया। सिर्फ 19 मामलों में ही आतंकी घुसपैठ में सफल रहे। लेकिन यह घुसपैठ ऐसी थीं, जिनमें एक या दो आतंकी घुसने में सफल रहते हैं। आतंकियों के समूह का घुसना संभव नहीं है।
स्मार्ट फेंसिंग

घुसपैठ रोकने के लिए तारबंदी भी की जा रही है। लेकिन इसमें दिक्कत यह है कि पूरी सीमा पर और नियंत्रण रेखा पर तारबंदी करना संभव नहीं है। दो कारण हैं- एक तो कई जगह भौगोलिक परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं, इसलिए बाड़ नहीं लग सकती। जहां बाड़ लगाई भी जाती हैं, वह बर्फ, तूफान आदि में जल्दी नष्ट हो जाती है। 

पहले एंटी इंफिलट्रेशन ऑबस्टकल सिस्टम (एआईओएस) बाड़ लगाई जाती थी, लेकिन अब घुसपैठ वाले संवेदनशील स्थानों पर स्मार्ट ऑबस्टकल फेंसिग सिस्टम लगाना शुरू कर दिया है। इसे नियंत्रण रेखा पर 50 किलोमीटर में लगा भी दिया गया है। सेना का दावा है कि यह बर्फ मे भी खराब नहीं होगा।

सेंसरों से नजर

स्मार्ट ऑबस्टकल सिस्टम में कई किस्म के सेंसर भी लगे हैं। जैसे नाईट विजन कैमरा, अलार्म, विजुअल मैप, डिस्प्ले आदि। इन्हें नियंत्रण केंद्र से मानीटर किया जा सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि बर्फबारी के बाद भी इस प्रकार की बाड़ को नुकसान नहीं पहुंचता है। इस सिस्टम को लगाने से पहले ट्रायल किए गए हैं। सेना की इंजीनियरिंग बटालियन खुद इसे लगा रही है। चरणबद्ध तरीके से चार सौ किलोमीटर संवेदनशील नियंत्रण रेखा पर यह बाड़ लगी है।

द्रोण से निगरानी

सीमा पर आतंकी गतिविधियों की निगरानी में अब इसरो के उपग्रहों की मदद ली जा रही है। दूसरे, सेना चालक रहित विमान द्रोण का भी इस्तेमाल करती है। इसलिए बड़ी घुसपैठ मुश्किल है।

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