नक्सल प्रभावित इलाकों को सड़क से जोड़ने की रफ्तार बेहद सुस्त है। इसकी वजह से अभी भी सुरक्षा बलों को बहुत से इलाकों में पहुंचने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। हालत ये है कि वर्ष 2016 में शुरू की गई नक्सल ग्रस्त इलाकों के लिए रोड कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के तहत अब तक मंजूर किए गए 9338 किलोमीटर सड़क में से महज 1796 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य पूरा है। इस परियोजना के तहत छतीसगढ़ और तेलंगाना में बड़े पैमाने पर काम अधूरा है। सरकार नक्सल के खिलाफ आरपार के अभियान के लिए सम्पर्क को भी गति देना चाहती है। लिहाजा राज्य सरकारों व निर्माण एजेंसियों को सुरक्षाबलों की मदद से निर्माण कार्य तेज करने को कहा गया है।
गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक रोड रिक्वायरमेंट प्लान (आरआरपी-1) के तहत जो काम 2009 में शुरू हुआ था उसमें काफी हद तक सफलता मिली है। इसके तहत 5422 किलोमीटर लंबाई की सड़कें बनाई जानी थीं। इनमें से 4902 किलोमीटर का काम अब तक पूरा हुआ है। इस प्रोजेक्ट में तेलंगाना ने अपना लक्ष्य पूरा किया है। जबकि छत्तीसगढ़ में करीब 395 किलोमीटर का काम बचा है।
सड़क संपर्क प्रोजेक्ट के तहत काफी काम शेष
जबकि 2016 में शुरू हुए दूसरे सड़क संपर्क प्रोजेक्ट (आरसीपीएलडब्लूई) के तहत काफी काम शेष है। इसके तहत 9338 किलोमीटर प्रस्तावित सड़क में से केवल 1796 किलोमीटर का काम पूरा हुआ। इसे लेकर कई स्तरों पर असंतोष जाहिर किया गया है। छत्तीसगढ़ में इस योजना के तहत करीब 2160 किलोमीटर और तेलंगाना में 558 किलोमीटर काम होना बाकी है। इस संबंध में संबंधित पक्षों से देरी की वजह पूछते हुए काम तेज करने को कहा गया है।
हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट नक्सल प्रभावित इलाकों में लंबित
सूत्रों ने कहा हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट नक्सल प्रभावित इलाकों में लंबित हैं। कई जगहों पर नक्सलियों के असर की वजह से काम नहीं हुआ तो कुछ मामलों में जरूरी समन्वय न होने से काम लटक रहा है। सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में गर्मियों में सघन अभियान चलाने का मन बनाया है। ऐसे में केंद्र व राज्य की सरकारों के साथ निर्माण एजेंसियों के सामने बड़ा लक्ष्य है। सुरक्षाबल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सघन जंगल वाले इलाकों में अभियान संचालित करना काफी मुश्किल भरा होता है। इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त करना बड़ी चुनौती है। दूसरी तरफ ग्रामीणों का भरोसा जीतने के लिए भी संपर्क और आधारभूत ढांचे से जुड़े काम तेज करने की जरूरत महसूस की जा रही है।