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तमिलनाडु का होगा विभाजन? अटकलों पर लामबंद हुईं राज्य की सत्ताधारी पार्टियां

तमिलनाडु के पश्चिमी क्षेत्र कोंगु को केंद्र सरकार की ओर से 'कोंगु नाडु' में विभाजित करने की योजना की अपुष्ट रिपोर्ट को लेकर राज्य की सत्ताधारी पार्टियां लामबंद हो गई हैं। राज्य में बीजेपी...

तमिलनाडु का होगा विभाजन? अटकलों पर लामबंद हुईं राज्य की सत्ताधारी पार्टियां
हिन्दुस्तान टाइम्स,चेन्नईSun, 11 Jul 2021 06:55 PM
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तमिलनाडु के पश्चिमी क्षेत्र कोंगु को केंद्र सरकार की ओर से 'कोंगु नाडु' में विभाजित करने की योजना की अपुष्ट रिपोर्ट को लेकर राज्य की सत्ताधारी पार्टियां लामबंद हो गई हैं। राज्य में बीजेपी नेताओं ने इस तरह के कदम के पक्ष में बात की है और कहा कि लोग ऐसा चाहते हैं। बीजेपी विधायक दल के नेता नैनार नाग्रेंद्रन ने रविवार को संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि तमिलनाडु में कई जगहों के नाम के अंत में नाडु है, तो वे (द्रमुक) इसे लेकर क्यों डरे हुए हैं? लेकिन यह ध्यान में रखना चाहिए कि आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश दो भागों में बंटे हुए थे। 

अगर वह (विभाजन) राज्य के लोगों की इच्छा है, तो सरकार को उसे पूरा करना चाहिए। वहीं, भाजपा के प्रदेश महासचिव कारू नागराजन ने भी यही राय व्यक्त की। दरअसल, बुधवार को कैबिनेट में बदलाव के बाद भारत सरकार द्वारा इस क्षेत्र को अलग राज्य या फिर केंद्र शासित प्रदेश बनाने की अटकलें शुरू हो गईं हैं। तमिलनाडु के पूर्व बीजेपी अध्यक्ष एल मुरुगन तमिलनाडु के कोंगु नाडु के रहने वाले हैं और इनको मोदी सरकार में जगह मिली है।

10 जून को, एक स्थानीय भाषा के दैनिक ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है कि केंद्र द्रमुक सरकार को करारा जवाब देने के लिए राज्य विभाजन की योजना बना रहा है। जिसमें नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को तमिल में 'ओंड्रिया अरसु' के रूप में संदर्भित किया गया था। जिसका मतलब होता है कि संघ सरकार न कि केंद्र सरकार। उसी दिन, 'महिला मोर्चा' की भाजपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष वनथी श्रीनिवासन ने अपने फेसबुक पेज पर इस दावे का समर्थन करने के लिए प्राचीन तमिल ग्रंथों का हवाला दिया कि कोंगु एक अलग भौगोलिक क्षेत्र था। श्रीनिवासन पश्चिमी क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं और कोयंबटूर से एक निर्वाचित विधायक हैं जो इस क्षेत्र का एक हिस्सा है।

द्रमुक और सहयोगियों ने रिपोर्ट को किया खारिज

सत्तारूढ़ द्रमुक और उसके सहयोगियों ने रिपोर्टों को खारिज कर दिया है और इसके खिलाफ आवाज बुलंद की है। द्रमुक सांसद कनिमोझी ने रविवार को संवाददाताओं से कहा, तमिलनाडु को कोई बांट नहीं सकता। इस तरह की चीजों से किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है, राज्य अब एक सुरक्षित सरकार के अधीन है।

कांग्रेस ने किया खारिज

तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी (TNCC) के प्रमुख के एस अलागिरी ने कोंगु नाडु की मांग को 'कल्पना की उपज' करार दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थिरुनावुकुआरासु ने कहा, इसके लिए कोई मौका नहीं है। हालांकि यह अन्य राज्यों के साथ हुआ है, लेकिन अभी तमिलनाडु में इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।

गंभीर परिणाम की चेतावनी

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता जी बालकृष्णन ने कहा कि भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए यह प्रयास कर रही है जो कि खतरनाक है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के लोग इसकी अनुमति नहीं देंगे। बालाकृष्णन ने कहा कि भाजपा द्वारा पिछले दरवाजे से तमिलनाडु में प्रवेश करने की इस तरह की कार्रवाई से पार्टी के लिए गंभीर परिणाम होंगे। एएमएमके प्रमुख टीटी वी दिनाकरण ने इसे जाति के आधार पर विभाजनकारी कदम बताया और मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से इस मुद्दे को दूर रखने का अनुरोध किया।

कोंगु क्षेत्र में अन्नाद्रमुक का सर्वश्रेष्ठ

बता दें कि पश्चिमी क्षेत्र अन्नाद्रमुक का गढ़ रहा है और 2 मई को घोषित चुनाव परिणामों में भाजपा के दो विधायकों को यहां से जीत मिली है। भाजपा के साथ अन्नाद्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन ने कुल 50 में से 33 सीटों पर जीत हासिल की। जहां द्रमुक गठबंधन ने राज्य के अन्य क्षेत्रों में जीत हासिल की, वहीं अन्नाद्रमुक गठबंधन ने कोंगु क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज किया।

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