गुजरात के मंत्री भूपेंद्र सिंह चूडासमा को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन रद्द करने के फैसले पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कदाचार के आधार पर गुजरात के कानून मंत्री भूपेंद्र सिंह चूडासमा का निर्वाचन रद्द करने के गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर शुक्रवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति...

सुप्रीम कोर्ट ने कदाचार के आधार पर गुजरात के कानून मंत्री भूपेंद्र सिंह चूडासमा का निर्वाचन रद्द करने के गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर शुक्रवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने भूपेंद्र सिंह चूडासमा की अपील पर वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के 12 मई के आदेश पर रोक लगाई। इसके साथ ही पीठ ने भूपेंद्र सिंह चूडासमा के प्रतिद्वन्दी कांग्रेस के अश्विन राठौड़ तथा अन्य को इस अपील पर नोटिस जारी किए।
याचिका में क्या: अपील में तर्क दिया गया कि उच्च न्यायालय इस तथ्य को समझने में विफल रहा कि इस चुनाव में पराजित कांग्रेस के प्रत्याशी अश्विन राठौड़ ने किसी भी मुद्दे पर कोई ठोस और भरोसेमंद साक्ष्य पेश नहीं किया। भाजपा के इस नेता ने अपनी अपील में कहा है कि इसलिए गुजरात विधानसभा के लिए 14 दिसंबर, 2017 को हुए चुनाव में ढोलकिया सीट से वह विधिवत निर्वाचित घोषित किये जाने के हकदार नहीं थे।
भूपेंद्र सिंह चूडासमा (भूपेन्द्रसिंह चूडास्मा ) 2017 के विधान सभा चुनाव में ढोलकिया सीट से 327 सीटों से विजयी घोषित किये गये थे। वह इस समय गुजरात की विजय रूपाणी सरकार में कानून मंत्री हैं। गुजरात उच्च न्यायालय ने अश्विन राठौड़ की याचिका पर 12 मई को भूपेंद्र सिंह चूडासमा का निर्वाचन कदाचार के आधार पर रद्द कर दिया था। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि निर्वाचन आयोग ने मतगणना के दौरान डाक से मिले 429 मतों को गलत तरीके से अस्वीकार किया था।
गुजरात हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया था: गुजरात हाई कोर्ट ने भूपेन्द्र सिंह चूडासमा की अहमदाबाद जिले की धोलका सीट पर पिछले चुनाव में मिली जीत को रद्द कर दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक और खासे रसूखदार माने जाने वाले चूड़ासमा ने 2017 में हुए चुनाव में कांग्रेस के अश्विन राठौड़ को मात्र 327 मतों के बेहद नजदीकी अंतर से हराया था। न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय की अदालत ने फरवरी में ही इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी।
गौरतलब है कि इस चर्चित मामले की सुनवाई के दौरान मतगणना के सीसीटीवी फुटेज में चूड़ासमा के निजी सचिव को मतगणना केंद्र के अंदर मोबाइल फोन पर बात करते हुए देखा गया था। निवार्चन अधिकारी जानी को भी उनके बतार्व के लिए अदालत ने फटकार लगायी थी। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में पहले ही चुनौती देने का प्रयास करने वाले चूड़ासमा को सितंबर में अदालत के समक्ष पेश होना पड़ा था और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट जाने के अपने निर्णय के लिए अदालत में खेद भी जताया था। चूडासमा को गुजरात भाजपा का एक कद्दावर नेता माना जाता है। वह शिक्षा के अलावा कुछ अन्य विभागों के भी प्रभारी हैं।