जानें, क्यों सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार- हम कचरा उठाने वाले नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने देश में ठोस कचरा प्रबंधन के बारे में केंद्र की ओर से आधी-अधूरी सूचना के साथ लंबा-चौड़ा हलफनामा पेश करने पर मंगलवार को नाराजगी जताई। अदालत ने कहा, आप अपना सारा ‘कचरा’...
सुप्रीम कोर्ट ने देश में ठोस कचरा प्रबंधन के बारे में केंद्र की ओर से आधी-अधूरी सूचना के साथ लंबा-चौड़ा हलफनामा पेश करने पर मंगलवार को नाराजगी जताई। अदालत ने कहा, आप अपना सारा ‘कचरा’ हमारे सामने डाल रहे हैं। हम ‘कचरा’ उठाने वाले नहीं हैं। ठोस कचरा प्रबंधन नियम-2016 को लागू करने की याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने 845 पेज का हलफनामा पेश करने पर यह सख्त टिप्पणी की। जस्टिस मदन बी. लोकूर और दीपक गुप्ता की पीठ ने भारी-भरकम हलफनामा रिकॉर्ड पर लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, यह स्वयं में ठोस कचरा है। इस तरह का हलफनामा दाखिल करने का कोई मतलब नहीं है जिसमें कुछ भी न हो।
पीठ ने केंद्र सरकार के वकील से कहा, आप क्या करने का प्रयास कर रहे हैं? आप हमें प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं? हम इससे प्रभावित नहीं हुए हैं। आप सब कुछ हमारे सामने डालना चाहते हैं। हम इसे स्वीकार नहीं करते। यह मत कीजिए।
लोया केस सुनवाई:शोर-शराबे से नाराज जज बोले-कोर्ट को मछली बाजार न बनाएं
तीन सप्ताह में दें हलफनामा
शीर्ष अदालत ने दाखिल हलफमामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। साथ ही तीन हफ्ते के भीतर एक हलफनामा दायर कर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा सलाहकार बोर्ड बनाने की तारीख, उसके अध्यक्ष और सदस्यों की जानकारी मांगी।
सरकार की दलील
सुनवाई शुरू होते ही केंद्र के वकील ने पीठ से कहा कि उसके 22 दिसंबर 2017 के आदेश के बाद केंद्र सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखे थे। इनमें से 22 राज्यों ने विवरण भेजा है। हलफनामे में इस विवरण संकलित है।
किसी की दिलचस्पी नहीं
पीठ ने कहा, आपने 2000 में नियम तैयार किए थे लेकिन किसी ने भी अमल नहीं किया। इसके बाद आपने 2016 में नियम तैयार किए। ऐसा लगता है कि इसमें किसी की भी दिलचस्पी नहीं है। जब वे इतने आसान मानदंडों को लागू नहीं कर रहे हैं तो फिर कठोर नियमों को कैसे लागू करेंगे।