ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशसुप्रीम कोर्ट बोला- जब तक अदालत निर्देश नहीं दे देतीं, सरकारें सक्रियता नहीं दिखातीं

सुप्रीम कोर्ट बोला- जब तक अदालत निर्देश नहीं दे देतीं, सरकारें सक्रियता नहीं दिखातीं

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि देश में सरकारें तब तक सक्रियता नहीं दिखातीं जब तक उन्हें अदालत से निर्देश नहीं मिल जाता। न्यायालय ने कहा कि उसका ऐसा ही अनुभव रहा है। शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए...

सुप्रीम कोर्ट बोला- जब तक अदालत निर्देश नहीं दे देतीं, सरकारें सक्रियता नहीं दिखातीं
एजेंसी,नई दिल्लीFri, 07 Aug 2020 11:01 PM
ऐप पर पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि देश में सरकारें तब तक सक्रियता नहीं दिखातीं जब तक उन्हें अदालत से निर्देश नहीं मिल जाता। न्यायालय ने कहा कि उसका ऐसा ही अनुभव रहा है। शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए टिप्पणी की कि वह दिल्ली में तबलीगी जमात के समागम को लेकर मीडिया के एक वर्ग द्वारा सांप्रदायिक कटुता पैदा करने वाली खबरें प्रकाशित और प्रसारित करने के आरोपों वाली याचिकाओं पर भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) की रिपोर्ट के अवलोकन के बाद निर्देश जारी करेगी।

पीसीआई को इस बारे में 50 से ज्यादा शिकायतें मिली थीं। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि इस मामले में भारतीय प्रेस परिषद की रिपोर्ट मंगाई जाएगी और उसी के आधार पर वह निर्देश देगी। पीठ ने परिषद के वकील से कहा, आप अपनी रिपोर्ट और निष्कर्ष हमें दीजिए और इसी के आधार पर हम निर्देश देंगे। परिषद के वकील का कहना था कि उसे इस संबंध में करीब 50 शिकायतों पर फैसला करना है।

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के वकील ने पीठ को सूचित किया कि उसे भी कई शिकायतें मिली हैं और वह इन पर नोटिस जारी कर रहा है। शीर्ष अदालत जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द की याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में केन्द्र को फर्जी खबरों को रोकने और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

इस मामले में एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि केन्द्र ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया है और उसने अपना रूख स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इसका जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का वक्त चाहिए। पीठ ने कहा कि वह चाहेगी कि इस मामले में एनबीए रिपोर्ट दाखिल करे क्योंकि वह विशेषज्ञ संस्था है। इस पर दवे ने कहा कि इन संस्थाओं पास अधिकार नहीं हैं।

इस पर पीठ ने कहा ''कौन से अधिकार? हम एनबीए से रिपोर्ट मांगेंगे। दवे का कहना था कि सांप्रदायिक कटुता फैलाने वाली, मीडिया की खबरों ने इस देश के ताने बाने को बहुत नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि यह मसला सामने आने के बाद से चार महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। मीडिया के इस तरह के आचरण की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

पीठ ने इस मामले को 26 अगस्त के लिए सूचीबद्ध करते हुए याचिकाकर्ताओं से कहा कि इस दौरान वे अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करें। केन्द्र ने अपने जवाब में न्यायालय से कहा है कि मरकज निजामुद्दीन के मसले को लेकर पूरे मीडिया पर रोक लगाने के आदेश के लिये प्रयास करने से समाज के विभिन्न वर्गों की गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के नागरिकों के अधिकार प्रभावित होंगे।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें