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राइट टू प्राइवेसी:सुप्रीम कोर्ट ने कहा आधुनिक युग में निजता की सुरक्षा हारी हुई बाजी है

सार्वजनिक रूप से उपलब्ध निजी सूचना के संभावित दुरूपयोग को लेकर चिंता प्रकट करते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि प्रौद्योगिकी के इस दौर में निजता की अवधारणा की सुरक्षा हारी हुई बाजी है। प्रधान...

राइट टू प्राइवेसी:सुप्रीम कोर्ट ने कहा आधुनिक युग में निजता की सुरक्षा हारी हुई बाजी है
एजेंसी,नई दिल्लीThu, 03 Aug 2017 01:49 AM
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सार्वजनिक रूप से उपलब्ध निजी सूचना के संभावित दुरूपयोग को लेकर चिंता प्रकट करते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि प्रौद्योगिकी के इस दौर में निजता की अवधारणा की सुरक्षा हारी हुई बाजी है। प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता में नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस जटिल मुद्दे पर सुनवाई कर रही है कि क्या निजता के अधिकार को संविधान के तहत बुनियादी अधिकार करार दिया जा सकता है।
        
एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता, कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किए जाने के पक्ष और विरोध में दलीलें पेश कीं। इस मामले में 27 अगस्त या इससे पहले फैसला सुनाया जाएगा। उसी दिन न्यायमूर्ति खेहर विदा हो रहे हैं। पीठ ने कहा, 'हमें निजता की हारी हुई बाजी की लड़ाई लड़ रहे हैं। हम नहीं जानते कि किस मकसद से सूचना का इस्तेमाल किया जाएगा। यह निश्चित तौर पर चिंता का विषय है।'
        
गुजरात सरकार की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि निजता के कुछ पहलुओं को विभिन्न बुनियादी अधिकारों में खोजा जा सकता है लेकिन प्राधिकारों को बुनियादी निजी सूचना प्रदान करना मौजूदा तकनीकी युग में ज्यादा पारदशर्तिा लाने के लिए जरूरी है। इसके बाद द्विवेदी ने उच्चतम न्यायालय के नियमों का जिक्र किया जिसने किसी निजी हित याचिका दायर करने के लिए विभिन्न निजी सूचना प्रदान करना अनिवार्य कर दिया है। उन्होंने कहा, 'आप नियमावली के तहत विभिन्न निजी सूचनाएं मांग कर तकनीक के साथ आगे बढ़ रहे हैं। ' द्विवेदी ने इसके बाद इस तथ्य का जिक्र किया कि उच्चतम न्यायालय जनहित याचिका दायर करने की इजाजत देने के लिए नाम, पता, टेलीफोन नंबर, पेशा और राष्ट्रीय अनूठा पहचान कार्ड जैसी निजी सूचना मांग रहा है। 
  

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