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महात्मा गांधी की हत्या जांच का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- किस हैसियत से कर रहे हैं पुन: जांच की मांग

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को महात्मा गांधी की हत्या के मामले में पुन: जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ता से पूछा कि, किस अधिकार से उन्होंने यह याचिका दायर की है। साथ ही मामले में हुई देरी के पहलुओं...

महात्मा गांधी की हत्या जांच का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- किस हैसियत से कर रहे हैं पुन: जांच की मांग
एजेंसी,नई दिल्लीFri, 12 Jan 2018 02:59 PM
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उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को महात्मा गांधी की हत्या के मामले में पुन: जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ता से पूछा कि, किस अधिकार से उन्होंने यह याचिका दायर की है। साथ ही मामले में हुई देरी के पहलुओं पर उनसे संतोषजनक तर्क देने को कहा। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि, वह मामले में शामिल व्यक्ति की महत्ता को देखते हुए नहीं बल्कि कानून के मुताबिक काम करेगा।

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न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि, उन्हें व्यक्ति की महानता को देखते हुए प्रभावित नहीं होना चाहिए। क्योंकि मुद्दा यह है कि इस मामले में कोई साक्ष्य उपलब्ध है या नहीं। पीठ ने कहा, "तुम्हें (याचिकाकर्ता) कुछ बेहद जरूरी बिंदुओं पर जवाब देना होगा। इनमें से पहला है देरी। दूसरा है अधिकार क्षेत्र और तीसरा यह तथ्य है कि, देरी होने के कारण घटना से जुड़े सभी प्रकार के साक्ष्य नष्ट हो चुके हैं।" साथ ही पीठ ने कहा कि, मामले से जुड़े ज्यादातर प्रत्यक्षदर्शियों की मौत हो चुकी है।

न्यायालय मुंबई के एक शोधकर्ता और अभिनव भारत के न्यासी डॉक्टर पंकज फड़नीस द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रहा था। पंकज ने मामले की जांच फिर से शुरू करने का अनुरोध करते हुए अपनी याचिका में दावा किया है कि, यह इतिहास की सबसे बड़ी लीपापोती में से एक है। वहीं, फडनीस ने वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र शरण द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने के लिए वक्त मांगा है। शरण को इस मामले में सहयोग के लिए न्यायालय द्वारा न्यायमित्र नियुक्त किया गया है।

शरण ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, महात्मा गांधी की हत्या की पुन: जांच की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि हत्या के पीछे की साजिश और गोलियां चलाने वाले हमलावर नाथूराम विनायक गोडसे की पहचान पहले ही उजागर हो चुकी है। पीठ ने याचिकाकर्ता को न्यायमित्र की इस रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया है।

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