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'महिला नहीं है पत्नी', पति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर लगाई तलाक की गुहार

सुप्रीम कोर्ट ने एक पति की तलाक की याचिका पर उसकी पत्नी को नोटिस भेजा है। पति ने इस आधार पर तलाक की मांग की है कि उसे धोखा दिया गया, क्योंकि उसकी पत्नी 'महिला' नहीं है। जस्टिस संजय किशन कौल...

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 14 March 2022 08:57 AM
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'महिला नहीं है पत्नी', पति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर लगाई तलाक की गुहार

सुप्रीम कोर्ट ने एक पति की तलाक की याचिका पर उसकी पत्नी को नोटिस भेजा है। पति ने इस आधार पर तलाक की मांग की है कि उसे धोखा दिया गया, क्योंकि उसकी पत्नी 'महिला' नहीं है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने पत्नी से पति की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के ग्वालियर बेंच के आदेश 29-07-2021 को चुनौती दी गई है।

अदालत ने कहा, "याचिकाकर्ता के वकील ने हमारा ध्यान अन्य बातों के साथ-साथ पेज 39 पर यह तर्क देने के लिए आकर्षित किया है कि प्रतिवादी की मेडिकल हिस्ट्री "लिंग + इम्परफोरेट हाइमन" दिखाती है... कि वह महिला नहीं है। नोटिस चार सप्ताह में वापस किया जा सकता है।

ग्वालियर बेंच के आदेश को दी गई चुनौती
दरअसल, उस व्यक्ति ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के ग्वालियर बेंच की ओर से 29 जुलाई, 2021 को दिए फैसले को चुनौती दी है, जिसके तहत ट्रायल कोर्ट के आदेश (दिनांक 6 मई, 2019) को प्रतिवादी के खिलाफ संज्ञान लेते हुए याचिकाकर्ता (आदमी) की निजी शिकायत को खारिज कर दिया गया था। इस आधार पर कि केवल मौखिक साक्ष्य के आधार पर और बिना किसी चिकित्सीय सबूत के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत कोई अपराध नहीं बनता है।

क्या है पूरा मामला
वकील प्रवीण स्वरूप के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि पुरुष और महिला की शादी जुलाई 2016 में हुई थी। शादी के बाद पत्नी कुछ दिनों तक इस बहाने पति से दूर रही कि वह मासिक धर्म से गुजर रही है। उसके बाद वह कुछ दिनों के लिए घर चली गई और 6 दिनों के बाद लौटकर आई।

याचिका के मुताबिक, बाद में जब पति ने फिर से करीब आने की कोशिश की, तो उन्होंने पाया कि वह महिला नहीं है। इसके बाद याचिकाकर्ता अपनी पत्नी को मेडिकल चेक-अप के लिए ले गया, जहां यह पता चला कि उसे 'इम्परफोरेट हाइमन' नामक चिकित्सा समस्या है। महिला को सर्जरी कराने की सलाह दी गई, लेकिन डॉक्टर ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि इसके बाद भी उसके गर्भवती होने की संभावना लगभग असंभव है।

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