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मॉब लिंचिंग पर यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया नोटिस, हापुड़ केस की दो हफ्ते में मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हापुड़ में गोवध के संदेह में दो लोगों पर कथित रूप से उग्र भीड़ के हमले की घटना के मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। इस हमले में एक मांस कारोबारी की मौत हो गई थी। कोर्ट ने...

मॉब लिंचिंग पर यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया नोटिस, हापुड़ केस की दो हफ्ते में मांगी रिपोर्ट
नई दिल्ली| विशेष संवाददाता Tue, 14 Aug 2018 06:16 AM
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सुप्रीम कोर्ट ने हापुड़ में गोवध के संदेह में दो लोगों पर कथित रूप से उग्र भीड़ के हमले की घटना के मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। इस हमले में एक मांस कारोबारी की मौत हो गई थी। कोर्ट ने मेरठ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) को मामले की जांच कर दो सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ ने इस हमले में जख्मी हुए समीउद्दीन की याचिका पर राज्य सरकार को नोटस जारी किया है। याचिका में घटना की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने और संबंधित मुकदमे की सुनवाई राज्य से बाहर कराने का आग्रह किया गया है। पीठ ने कहा कि यह मामला गंभीर है और इसमें बचे व्यक्ति का सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराया जाए। पीठ ने हापुड़ जिले के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह समीउद्दीन को सुरक्षा प्रदान करने के उसके आग्रह पर भी विचार करें। यदि जरूरत हो तो उसे सुरक्षा दी जाए। पीठ इस पर अगली सुनवाई 28 अगस्त को करेगी। सुनवाई के दौरान अभियुक्त की ओर पेश वकील सूरत सिंह को कोर्ट ने सुनने से इनकार कर दिया। 

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पीठ ने समीउद्दीन के वकील के इस बयान पर विचार किया कि उनके मुवक्किल और मांस कारोबारी कासिम कुरैशी पर 18 जून को उग्र भीड़ ने इस संदेह में हमला किया कि वे गोवध में शामिल हैं। पुलिस ने भीड़ के हमले की बजाए इस मामले में रोडरेज का मुकदमा दर्ज किया है। हमले में 45 वर्षीय कुरैशी की मौत हो गई थी। वकील ने कहा कि उन्हें जांच अधिकारी पर यकीन नहीं है। याचिका में इस घटना के मुख्य आरोपी युधिष्ठिर सिंह सिसोदिया और अन्य आरोपियों की जमानत रद्द करने का भी आग्रह भी किया गया है। 

वीडियो का जिक्र
याचिका में एक मिनट का एक वीडियो सामने आने का भी जिक्र किया गया है जिसमें बताया गया है कि यह रोडरेज का मामला नहीं, बल्कि उग्र भीड़ द्वारा पीटने का मामला था। पीठ ने कहा आईजी की रिपोर्ट आने के बाद मामल की जांच की जाएगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई को केंद्र सरकार से कहा था कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया जाए।  

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याचिका में ये गुहार लगाई-
- मामले की एसआईटी से जांच कराई जाए क्योंकि पुलिस ने लीपापोती की है।
- पुलिस द्वारा इस मामले को रोडरेज बताने की कोशिश की गई है। 
- मामले की सुनवाई राज्य से बाहर हो, क्योंकि यूपी में न्याय नहीं मिलेगा। 
- मामले के अभियुक्तों की जमानत रद्द की जाए। 
- पीड़ित को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
- पीड़ित का धारा 164 का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराया जाए।

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