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सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से पूछा- यूपी में बेघरों के आधार कैसे बनें

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जानना चाहा कि ऐसे शहरी बेघर जिनका कोई ठिकाना ही नहीं है, उनके आधार कार्ड कैसे बन रहे हैं। जस्टिस मदन बी. लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने देशभर में शहरी बेघरों को...

सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से पूछा- यूपी में बेघरों के आधार कैसे बनें
नई दिल्ली, विशेष संवाददाताThu, 11 Jan 2018 07:37 AM
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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जानना चाहा कि ऐसे शहरी बेघर जिनका कोई ठिकाना ही नहीं है, उनके आधार कार्ड कैसे बन रहे हैं। जस्टिस मदन बी. लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने देशभर में शहरी बेघरों को बसेरे उपलब्ध कराने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से यह जानकारी मांगी। राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से पीठ ने  सवाल किया, यदि कोई व्यक्ति बेघर है तो आधार कार्ड में उसे कैसे वर्णित किया जाता है। मेहता ने इस सवाल के जवाब में शुरू में कहा, यही संभावना है कि उनके पास आधार नहीं होगा।

इस पर पीठ ने जानना चाहा कि क्या आधार कार्ड नहीं रखने वाले ऐसे बेघर लोग भारत सरकार या उत्तर प्रदेश सरकार के लिए अस्तित्व में ही नहीं हैं और उन्हें इन्हें बसेरों में जगह नहीं मिलेगी। मेहता ने स्पष्टीकरण दिया कि यह कहना सही नहीं है कि जिनके पास आधार कार्ड नहीं है, उनका अस्तित्व ही नहीं है। क्योंकि उनके पास मतदाता पहचान-पत्र जैसे दूसरे पहचान संबंधी कार्ड हैं, जिनमें उनका पता होता है।

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मेहता ने कहा, हम एक मानवीय समस्या से जूझ रहे हैं। आधार के लिए स्थाई पता दिया जा सकता है। शहरी बेघर आने-जाने वाली आबादी में आते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस स्थित के प्रति सजग है और वह ऐसे सभी व्यक्तियों के लिए बसेरों में जगह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है। पीठ ने पूछा कि लेकिन सरकार कहती है कि 90 प्रतिशत आबादी को आधार कार्ड दिया जा चुका है।

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आलोचना पर नाराजगी जताई

सुप्रीम कोर्ट ने इन आलोचनाओं पर नाराजगी व्यक्त की कि वह सरकार चलाने का प्रयास कर रहा है। पीठ ने तल्ख टिप्पणियां करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लिया कि ऐसा लगता है कि आपका तंत्र विफल हो गया है। पीठ ने कहा, ‘आप अपना काम नहीं करते हैं और जब हम कुछ कहते हैं तो देश में सभी यह कहकर हमारी आलोचना करते हैं कि हम सरकार और देश चलाने का प्रयास कर रहे हैं।’ पीठ ने कहा कि दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना 2014 से चल रही है, लेकिन यूपी सरकार ने लगभग कुछ नहीं किया है। पीठ ने दो सप्ताह के अंदर आवश्यक कदम उठाने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 8 फरवरी के लिए स्थगित कर दी।

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