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मई दिवस : 150 साल पहले मजदूरों को 14 घंटे करना पड़ता था काम

दुनिया को अपने हाथों बनाने, खून और पसीना सजाने वाले मजदूरों के अधिकारों की जागरूकत के रूप में मई दिवस मनाया जाता है। कामगारों के लिए मई दिवस एक बड़ी उपलब्धि के रूप में मनाया जाता है। मई दिवस को...

मई दिवस : 150 साल पहले मजदूरों को 14 घंटे करना पड़ता था काम
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीMon, 01 May 2017 10:42 AM
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दुनिया को अपने हाथों बनाने, खून और पसीना सजाने वाले मजदूरों के अधिकारों की जागरूकत के रूप में मई दिवस मनाया जाता है। कामगारों के लिए मई दिवस एक बड़ी उपलब्धि के रूप में मनाया जाता है।

मई दिवस को इंटरनेशनल लेबर डे और मजदूर दिवस दिवस के रूप में भी जाना जाता है। 1 मई को ब्रिटेन में एक त्योहार भी शुरू होता है।

..तो इसलिए मनाया जाता है मई दिवस
सूचना के अनुसार, 1800s के दौर में (19वीं शताब्दी में) यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में मजदूरों से 14 घंटे तक काम कराया जाता था। न कोई मेडिकल लीव होती थी और न ही किसी त्योहार पर छुट्टी होती थी।

इन सभी यातनाओं के खिलाफ 1 मई 1984 में अमेरिका में करीब तीन लाख मजदूर सड़कों पर उतर पड़े। इन मजदूरों की मांग थी कि अधिकतम 8 घंटे काम कराया जाए और सोने के लिए भी आठ घंटे दिए जाएं।

इसी दौरान यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में भी कई मजदूर आंदोलन हुए जिसके परिणाम स्वरूप काम के घंटे 8 तय किए।

भारत में मजदूर
भारत में 16154 कामगार संगठन हैं, जिनके करीब 92 लाख सदस्य हैं। भारत में कुल 50 करोड़ कर्मचारी व मजदूर हैं जिनमें करीब 94 फीसदी असंगठित क्षेत्र के कामगार हैं।

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