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प्रदूषण: गर्भ में पल रहे बच्चों का भी रखना होगा खास ध्यान

दिल्ली समेत उत्तर भारत का बड़ा हिस्सा इन दिनों वायु प्रदूषण का प्रकोप झेल रहा है और लोगों को सांस लेने में कठिनाई महसूस हो रही है। ऐसे में खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों की सेहत का ख्याल रखने के...

प्रदूषण: गर्भ में पल रहे बच्चों का भी रखना होगा खास ध्यान
नई दिल्ली, एजेंसीTue, 14 Nov 2017 04:16 PM
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दिल्ली समेत उत्तर भारत का बड़ा हिस्सा इन दिनों वायु प्रदूषण का प्रकोप झेल रहा है और लोगों को सांस लेने में कठिनाई महसूस हो रही है। ऐसे में खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों की सेहत का ख्याल रखने के साथ ही डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को भी सतर्कता बरतने की सलाह देते हैं जिससे उनके साथ उनकी कोख में पल रहे बच्चे को भी जहरीली आबोहवा के कुप्रभावों से बचाया जा सके।

विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण इस दौर में गर्भवती महिलाओं के जरिये उनके गर्भ में पल रहे भ्रूण तक को भी नुकसान पहुंच सकता है। इंटरनेशनल फर्टिलिटी सेंटर की प्रमुख डॉ रीता बख्शी ने कहा कि इस तरह की मान्यता रही है कि भ्रूण को गभार्शय चारों ओर से किसी भी तरह के बाहरी नुकसान से सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि पिछले कुछ समय में इस बात के विरोधाभासी तथ्य सामने आये हैं। अनुसंधानकतार्ओं ने गर्भवती महिलाओं में विषैले रसायनों की मौजूदगी की बात साबित की है जिसका प्रभाव गभार्शय के अंदर भी पहुंच सकता है।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में जहरीले तत्वों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और सीसा जैसे रसायनों तथा कीटनाशक आदि से लोगों को कल्पना से परे नुकसान पहुंच रहा है। अध्ययनों में साबित हुआ है कि जब मां बनने जा रही कोई महिला इन रसायानों और वायु प्रदूषक तत्वों के संपर्क में आती है तो उसकी कोख में पल रहे शिशु के स्वस्थ मस्तिष्क के विकास में अवरोध पैदा होता है। इसके नतीजतन भविष्य में बच्चों के स्वभाव और व्यवहार में असर दिखाई देता है। 

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अर्चना धवन बजाज के मुताबिक वायु प्रदूषण के मौजूदा स्तर से गर्भवती महिलाओं को और उनकी कोख में पल रहे बच्चों को काफी जोखिम होता है। दरअसल भ्रूण को ऑक्सीजन का प्रवाह मां से होता है और अगर वह खराब हवा में सांस ले रही है तो अजन्मे बच्चों में जोखिम बढ़ जाता है। 

नेचर आईवीएफ सेंटर की विशेषज्ञ डॉ बजाज के अनुसार गर्भवती महिलाओं को पहले तीन महीने में अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हवा में मौजूद खराब रासायनिक तत्वों का असर भ्रूण तक पहुंच जाता है तो समय पूर्व जन्म संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं और उनका विकास प्रभावित हो सकता है। बच्चों को बाद में अस्थमा की शिकायत हो सकती है। गौर करने वाली बात है कि वायु प्रदूषण का थोड़े वक्त का भी कुप्रभाव दीर्कालिक असर डाल सकता है। 

बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉ संदीप नायर के अनुसार चौंकाने वाली बात है कि उनके पास सांस लेने में समस्या की शिकायत लेकर आने वाले अधिकतर रोगी ऐसे हैं जिन्हें कभी बचपन में अस्थमा की शिकायत नहीं रही लेकिन बड़े होकर वे सांस लेने में परेशानी महसूस करने लगे। यह चिंताजनक है। 

प्रदूषण के इस माहौल में डॉक्टर महिलाओं को पूरी तरह बचने की, बाहर निकलना जरूरी हो तो मास्क पहनने की और किसी भी परेशानी की स्थिति में चिकित्सक से तत्काल परामर्श लेने की सलाह देते हैं।

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