केंद्र ने सख्त लहजे में पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा और वहां चल रही डॉक्टरों की हड़ताल पर राज्य सरकार से अलग-अलग रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही केंद्र ने कहा कि बंगाल में लगातार हो रही राजनीतिक हिंसा से कानून व्यवस्था के ध्वस्त होने के संकेत मिल रहे हैं।
राजनीतिक हिंसा पर मांगी गई रिपोर्ट में पिछले चार बरसों में लगभग 160 लोगों के मारे जाने का जिक्र करते हुए गृह मंत्रालय ने गंभीर चिंता जताई है। एडवाइजरी के मुताबिक, 2016 से 2019 तक लगातार राजनीतिक हिंसा का रुझान प्रदेश में कानून प्रवर्तन मशीनरी द्वारा कानून का राज कायम रखने और लोगों को सुरक्षा का एहसास दिलाने में विफलता का संकेत है।
केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्य सरकार रिपोर्ट भेजकर बताए कि इन हिंसक घटनाओं की जांच और अपराधियों पर कार्रवाई के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। केंद्र ने पूरे घटनाक्रम को गंभीर रूप से चिंताजनक बताया है। केंद्र पश्चिम बंगाल में हो रही घटनाओं पर पहले भी राज्य सरकार को सचेत कर चुका है।
लगातार क्यों हो रही राज्य में हिंसा
गृह मंत्रालय को मिली अलग-अलग रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि प्रदेश में 2016 के दौरान राजनीतिक हिंसा की 509 घटनाएं हुई थीं, यह 2018 में बढ़कर 1035 तक पहुंच गईं। वर्ष 2019 में अब तक इस तरह की करीब 773 घटनाएं हो चुकी हैं। राजनीतिक हिंसा की वजह से होने वाली मौतों में भी बढ़ोत्तरी हुई है।
इस साल 26 लोगों की जान जा चुकी है
वर्ष 2016 में 36 लोगों की जान गई थी। वर्ष 2018 में मौतों का आंकड़ा बढ़कर 96 तक पहुंच गया। इस साल अब तक राजनीतिर्क ंहसा की वजह से अब तक 26 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है।
डॉक्टरों की हड़ताल पर भी जानकारी मांगी
अधिकारी ने बताया कि पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की चल रही हड़ताल पर भी एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। एडवाइजरी में कहा गया है कि केंद्र सरकार को बड़ी संख्या में देश भर से डॉक्टरों के प्रतिनिधि, हेल्थ केअर प्रोफेशनल और चिकित्सा सहयोगियों की ओर से प्रत्यावेदन मिले हैं। इसमें पश्चिम बंगाल में चल रही हड़ताल के मद्देनजर सुरक्षा से जुड़े पहलुओं पर चंता जताई गई है। राज्य सरकार से कहा गया है कि वे तत्काल इस मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजे। गौरतलब है कि राज्य में डॉक्टरों की हड़ताल से चिकित्सा सेवाएं चरमरा गई हैं।
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