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श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लौट रहे मजदूरों का दावा, हमसे पैसे लेेकर दिए गए टिकट

लॉकडाउन में यूपी, बिहार और झारखंड सहित कई राज्यों में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला तेज हो गया है। रेलवे इनके लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला रहा है। इसी के साथ मजदूरों से रेल...

श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लौट रहे मजदूरों का दावा, हमसे पैसे लेेकर दिए गए टिकट
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊ, धनबाद, गोरखपुरTue, 05 May 2020 10:01 AM
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लॉकडाउन में यूपी, बिहार और झारखंड सहित कई राज्यों में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला तेज हो गया है। रेलवे इनके लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला रहा है। इसी के साथ मजदूरों से रेल किराए को लेकर विवाद तेज हो गया है। गोरखपुर, लखनऊ, धनबाद पहुंचे बहुत से श्रमिकों ने दावा किया है कि उनसे पैसे लेकर टिकट दिया गया है। ये मजदूर ट्रेनों में मिले टिकट को दिखा भी रहे हैं। वहीं दूसरी ओर रेलवे ने काउंटर से टिकट नहीं बेचने और राज्यों को टिकट सौंपने का दावा किया है। कांग्रेस, सपा, राजद आदि पार्टियों ने सरकार को इस मामले में घेरकर कई सवाल खड़े किए हैं।   

महाराष्ट्र से गोरखपुर आए श्रमिकों का दवा 745 रुपये देकर लिए टिकट : 
महाराष्ट्र से चली श्रमिक स्पेशल ट्रेन से सोमवार सुबह गोरखपुर पहुंची। यहां पहुंचे अधिकांश प्रवासी मजदूरों ने भी रेल किराए का भुगतान करने की बात कही। उनसे प्रत्येक टिकट के बदले 745 रुपये वसूले गए। कई यात्रियों ने 28 घंटे लंबे सफर में काफी दुश्वारियां झेलने की शिकायत की। उन्होंने बताया कि पूरा सफर दो पैकेट चिप्स, एक पैकेट बिस्कुट और एक बोतल पानी के सहारे काटना पड़ा।

कुछ मजदूरों ने लॉकडाउन लागू होने के बाद मुंबई के वसई रोड में बिताए गए मुश्किल भरे दिनों के बारे में बताया। खजनी के विश्वमोहन ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से ही काम छूट गया। जो पैसे बचे थे, उसी से राशन मंगवाकर कुछ दिन काम चलाया। लॉकडाउन बढ़ता गया और राशन खत्म होने लगा। कभी-कभी एक टाइम भोजन करते थे कि राशन एकदम से खत्म न हो जाए। इस बीच, कुछ लोगों ने मदद की लेकिन प्रशासन हमारे साथ सौतेला व्यवहार कर रहा था। एक छोटी-सी खोली में हर पल दम घुट रहा था। बस इसी इंतजार में थे कि हम कब अपने घर पहुंचेंगे।

लखनऊ पहुंचे शिवम बोले -  लिए गए पैसे 

मुंबई सेंट्रल में वेंडर का काम करने वाले शिवम सिंह भी श्रमिक स्पेशन ट्रेन से लखनऊ पहुंचे। उन्होंने बताया कि नासिक के पंचवटी, मखमलाबाद नाका के 12 नंबर स्कूल में रोके गए श्रमिकों को टिकट लेने पड़े। इसके लिए उनसे पैसा मांगा गया। जिनके पास पैसे नहीं थे उनकी अन्य साथियों ने मदद की। यहां के श्रमिकों को जनरल क्लास के 420 रुपये किराये वाले टिकट दिए गए जबकि उनसे 50 रुपये अतिरिक्त लिए गए। कुक 479 रुपये श्रमिकों से वसूले गए। पूछताछ करने पर श्रमिकों को इसकी जानकारी नहीं दी गयी। दूसरी तरह, नासिक के अन्य जगहों पर रहने वाले श्रमिकों से टिकट किराया के अतिरिक्त और कोई भी अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया गया। जब शिवम से यह पूछा गया कि यह पैसा किसने लिया तो वह इसका जवाब नहीं दे सकें

 

 

 

झारखंड पहुंचे मजदूर बोले, हमने टिकट के पैसे चुकाए
दो श्रमिक स्पेशल ट्रेन से केरल से झारखंड पहुंचे प्रवासी मजदूरों का कहना है कि उन्हें धनबाद और जसीडीह का किराया लेने के बाद टिकट दिया गया। धनबाद के लिए 860 रुपये तो जसीडीह के लिए 875 रुपये वसूले गए। स्पेशल ट्रेन में 22 जिलों के 1129 मजदूर सवार थे। कई मजदूरों ने बताया कि उनके पास पैसे खत्म हो गए थे। ऐसे में किसी को घर से पैसे मंगाकर टिकट लेना पड़ी तो किसी ने उधार लेकर टिकट खरीदा। श्रमिक स्पेशल ट्रेन से केरल प्रांत के तिरुवनंतपुरम से सोमवार को जसीडीह जंक्शन पहुंचे मजदूरों ने बताया कि उन्हें 875 रुपये का टिकट लेना पड़ा। धनबाद लौटे कुछ मजदूरों ने कहा कि सरकार ने ट्रेन चलाकर अच्छा किया। हम लोग सुरक्षित घर लौट आए, लेकिन रेलवे ने 860 रुपये किराया वसूला। टिकट के पैसे नहीं थे, उधार लेकर आना पड़ा। कमारडीह के छोटू सोरेन ने कहा कि काम छूट गया था। घर आना जरूरी था। मेरे पास पैसे नहीं थे। इसलिए, दोस्त से पैसे लेकर टिकट करवाया। टुंडी के विश्वनाथ ने कहा कि नौकरी चली गई और ठेकेदार ने एक महीने की मजदूरी भी नहीं दी। ऊपर से ट्रेन में भाड़ा देकर आना पड़ा।

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रूम पर आकर लिया गया किराया
धनबाद लौटे कई मजदूरों ने बताया कि यात्रा शुरू होने से पहले कमरे पर आकर किराया वसूला गया। पाकुड़ लौट रहे अलामुद्दीन शेख ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान वे कालीकट में फंसे थे। उनके साथ उनके गांव के 40-50 लोग थे। वर्दी में कुछ लोग उनके कमरे पर आए और ट्रेन पर सवार होने की तैयारी कर रहे हर व्यक्ति से 860 रुपये लिए।

मजदूरों से रेल भाड़ा लेने की बात नहीं कही : केंद्र
केंद्र सरकार ने कहा कि हमने मजदूरों से किराया वसूलने की बात नहीं की। विशेष ट्रेन से यात्रा का 85 फीसदी खर्च रेलवे और 15 फीसदी राज्यों ने उठाया है।  स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कोरोना संक्रमण से जुड़ी प्रेस कांफ्रेस में कहा कि लॉकडाउन के दौरान हमने लोगों को सलाह दी थी कि जो जहां है, वहीं रहे। विशेष स्थिति में ट्रेन चलाने की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा कि देश में कोविड संक्रमण की रफ्तार धीमी हुई है। मौजूदा रुझान स्थिर हैं। अगर मिलकर कार्य करेंगे तो चरम स्थिति कभी नहीं आएगी, लेकिन यदि असफल हो गए तो मामले बढ़ सकते हैं।

पटना पहुंच कर बोले - टिकट लेकर घर लौटे 
केरल से पटना पहुंचे प्रवासियों को जेब से पैसा खर्च कर घर लौटना पड़ा है। मजदूरों का कहना था कि स्पेशल ट्रेन से 910 रुपये का टिकट कटाना पड़ा है। दो ट्रेनों में 2310 मजदूर सोमवार को केरल से पटना लौटे हैं।

विपक्ष ने उठाए सवाल : 

राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल कर रही है, वहीं दूसरी और रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ का चंदा दे रहा है। जरा यह गुत्थी सुलझा लें। वहीं यूपी के पूर्व सीएम और सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा गरीब और बेसहारा मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए रेल किराया वसूलने की खबरें बेहद शर्मनाक हैं। संकट में शोषण करना सूदखोरों की प्रवृत्ति है ना कि सरकार की। आरजेडी नेजा तेजस्वी यादव ने भी बिहार सरकार पर तंज कसा। उन्होंने कहा आदरणीय नीतीश कुमार जी राजद मजदूरों की तरफ से 50 ट्रेन का किराया वहन करने को तैयार है, क्योंकि डबल इंजन सरकार सक्षम नहीं है। सुशील मोदी जी, कुल जोड़ कर बता दीजिए चेक भिजवा दिया जाएगा। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कहा संकट में अगर आप विदेश में फंसे हैं तो सरकार आपको मुफ्त में वापस लाएगी लेकिन अगर किसी दूसरे राज्य में फंसे प्रवासी मजदूर हैं तो यात्रा का खर्च उठाने के लिए तैयार रहें।  उसमें सोशल डिस्टेंसिंग की लागत अलग से जोड़ लें। 

महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक को छोड़ सभी राज्य भर रहे किराया
रेलवे की ओर से अभी तक संचालित 45 श्रमिक स्पेशल ट्रेन का किराया राज्यों ने वहन किया है, सिवाय महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक के। प्रवासी मजदूरों से घर वापसी का किराया वसूलने को लेकर केंद्र की आलोचनाओं के बीच रेलवे सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। 
उन्होंने बताया कि राजस्थान और तेलंगाना अपने यहां से चलने वाली श्रमिक स्पेशल में सवार मजदूरों के टिकट का किराया खुद भर रहे हैं। बिहार और झारखंड भी अपने यहां आने वाले मजदूरों की रेल यात्रा का खर्च उठा रहे हैं। गुजरात सरकार ने टिकट के एक हिस्से का खर्च उठाने के लिए एनजीओ तैनात किया है। सिर्फ महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक सरकार प्रवासी मजदूरों से उनकी यात्रा का खर्च वसूल रही हैं। महाराष्ट्र के मंत्री नितिन राउत ने राज्य से बाहर जा रहे मजदूरों को मुफ्त वापसी की सुविधा देने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र तक लिखा है। 

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