ऐसे कैसे जीतेंगे कोरोना से जंग? कच्चे माल की कमी से टीका उत्पादन पर पड़ रहा असर
देश के सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि कच्चे माल की आपूर्ति में कमी होने के कारण भारत में कोविड-19 टीकों के उत्पादन की रफ्तार इस महीने की शुरुआत में कम हो गई है जबकि नए संक्रमण का स्तर अपने चरम पर...
देश के सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि कच्चे माल की आपूर्ति में कमी होने के कारण भारत में कोविड-19 टीकों के उत्पादन की रफ्तार इस महीने की शुरुआत में कम हो गई है जबकि नए संक्रमण का स्तर अपने चरम पर पहुंच गया है। इस बीच टीका उत्पादक एक प्रमुख कंपनी ने अमेरिका से कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध समाप्त करने का आग्रह किया।
कोविड-19 टीके की करोड़ों खुराक विदेशों में भेजने के बाद भारत ने अचानक खुद को इस टीके के उत्पादन के मामले में अभावग्रस्त पाया है। इसने अचानक नियमों को बदल दिया है ताकि इसे जल्दी से जल्दी वैक्सीन आयात करने की अनुमति मिल सके। जबकि इसी बात के लिए भारत ने पहले फाइजर जैसे विदेशी टीका निर्माताओं को फटकार लगाई थी।
टीकाकरण को समन्वित करने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए कोविन पोर्टल के अनुसार, 5 अप्रैल तक 45 लाख खुराक का उत्पादन प्रतिदिन हो रहा था, लेकिन उसके बाद से इसकी रफ्तार कम होकर प्रतिदिन औसतन लगभग 30 लाख खुराक पर रह गई।
एस्ट्राजेनेका टीके को भारत में उत्पादन करनेवाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने देश में आपूर्ति किए गए 11.55 करोड़ खुराकों में से 91% से अधिक खुराक का उत्पादन किया है। लेकिन दुनिया के सबसे बड़े टीका उत्पादक इस एसआईआई में अब कच्चे माल की कमी के कारण उत्पादन में कमी हो गई है।
राजनयिक प्रयासों को ठीक से सफल नहीं होते देख सीआईआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने सीधे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से अपील की है कि वे टीका उत्पादन में लगने वाले कच्चे माल की आपूर्ति पर नियंत्रण समाप्त करें। यह नियंत्रण अमेरिकी की टीका कंपनियों को समर्थन करने के लिए लगाया गया है।
पूनावाला ने ट्विटर पर लिखा है
अगर हम वास्तव में अमेरिका के बाहर इस वायरस को खत्म करने के लिए टीके का उत्पादन करने में एकजुट होते हैं, तो मैं विनम्रतापूर्वक आपसे अमेरिका से कच्चे माल के निर्यात से प्रतिबंध को हटाने का अनुरोध करता हूं, ताकि यहां टीके का उत्पादन बढ़ सके।