अमृतसर ट्रेन हादसे पर सबने झाडा़ पल्ला, आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू
अमृतसर में हुए भीषण रेल हादसे के 24 घंटे बाद भी जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई। इस मामले में रेलवे ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि हादसे में उसकी कोई गलती नहीं है, इसलिए जांच नहीं की जाएगी। साथ ही रेलवे...
अमृतसर में हुए भीषण रेल हादसे के 24 घंटे बाद भी जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई। इस मामले में रेलवे ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि हादसे में उसकी कोई गलती नहीं है, इसलिए जांच नहीं की जाएगी। साथ ही रेलवे ने इस हादसे का जिम्मेदार प्रशासन को बताया। इस पर नगर निगम की ओर से कहा गया कि उन्होंने दशहरा मेले के आयोजन की अनुमति नहीं दी थी। इन सबके बीच दशहरा कमेटी का दावा है कि उन्होंने पुलिस से अनुमति ली थी। मगर, पुलिस उपायुक्त अमरिक सिंह पवार ने कहा कि दशहरा कमेटी ने आवश्यक अनुमति नहीं ली थी।
उधर, हादसे के 16 घंटे बाद मृतक के परिजनों और घायलों से मिलने पहुंचे मुख्यमंत्री अरमिंदर सिंह ने मामले की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने बताया कि हादसे में मारे गए ज्यादातर लोगों की पहचान हो चुकी है। परिजनों की मौजूदगी में उनका दाह संस्कार भी कर दिया गया।
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दशहरे के दौरान हुए हादसे को लेकर आरोप प्रत्यारोप के दौर के बीच पुलिस ने स्वीकार किया कि उसने आयोजकों को अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया था लेकिन कहा कि कार्यक्रम के लिये नगर निगम की भी मंजूरी की जरूरत थी। इस बीच सामने आए एक खत से संकेत मिले हैं कि आयोजकों - स्थानीय कांग्रेस पार्षद के परिवार ने कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा इंतजाम की भी मांग की थी जहां पंजाब के मंत्री नवजोत सिद्धु और उनकी पूर्व विधायक पत्नी नवजोत कौर सिद्धु के आने की उम्मीद थी।प्रत्यक्षदर्शियों ने हालांकि शिकायत की कि जोड़ा फाटक के पास पटरियों के साथ लगे मैदान में लोगों की सुरक्षा के लिये इंतजाम पर्याप्त नहीं थे।
सुजीत सिंह ने पूछा,''सरकार ने सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध क्यों नहीं किये थे। रेलवे पटरी के निकट इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन करने की अनुमति क्यों दी गई। एक वीडिया के सामने आने के बाद नवजोत कौर सिद्धु पर आरोपों को हवा मिली है जो कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल थीं और कथित तौर पर मंच पर किसी ने उन्हें बताया कि लोग रेल की पटरियों पर भी खड़े हैं। अकाली दल, भाजपा और आम आदमी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने कार्यक्रम की इजाजत देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। अकाली दल ने पंजाब की कांग्रेस सरकार से सिद्धु को बर्खास्त किये जाने की मांग की।
इस बीच हादसे में मारे गए 39 लोगों का शहर में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
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उधर रेलवे अधिकारियों ने कहा कि उनसे कार्यक्रम के लिये कोई मंजूरी नहीं मांगी गई थी। रेलवे ने मामले में किसी तरह की जांच से इनकार किया और कहा कि यह कोई रेल दुर्घटना नहीं बल्कि रेल पटरियों पर अनधिकृत प्रवेश का एक मामला है।
गर्वनमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने ''अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है वहीं मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिये हैं जो चार हफ्ते के अंदर अपनी रिपोर्ट देंगे।
सिंह ने दुर्घटनास्थल जोड़ा फाटक और अस्पतालों का दौरा किया और बताया कि हादसे में 59 लोगों की जान गई है जबकि 57 घायल हैं। उप जिलाधिकारी राजेश शर्मा ने हालांकि मृतकों का आंकड़ा 61 बताया। अमृतसर के पुलिस उपायुक्त अमरीक सिंह पवार ने कहा कि आयोजकों को इस शर्त पर अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया गया था कि वे नगर निगम और प्रदूषण विभाग से भी मंजूरी लेंगे। अमृतसर नगर निगम ने इस हादसे से खुद को अलग बताया। अमृतसर नगर निगम आयुक्त सोनाली गिरी ने यहां बताया, ''दशहरा समारोह आयोजित करने की अनुमति किसी को नहीं दी गई थी। इससे भी ज्यादा यह है कि किसी ने अनुमति के लिए अमृतसर नगर निगम में आवेदन भी नहीं किया था।
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मध्यरात्रि घटनास्थल का दौरा करने वाले रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी ने कहा कि रेलवे पटरियों के निकट हो रहे दशहरा कार्यक्रम के बारे में विभाग को सूचित नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि यह हादसा दो स्टेशनों- अमृतसर एवं मनावाला के बीच हुआ, न कि रेलवे फाटक पर। सुबह तक पटरियों को साफ कर दिया गया था और शवों के अवशेषों को हटा दिया गया था। कुछ लोगों ने रेलवे की पटरियों के पास प्रदर्शन किया और जब पुलिस ने उनको बैरीकेड के पास से हटाने का प्रयास किया तो इस दौरान वहां माहौल थोड़ा तनावपूर्ण भी हो गया। कुछ लोगों ने कांग्रेस पार्षद विजय मदान के बेटे के घर पर पथराव भी किया । मदान का परिवार ही कार्यक्रम का आयोजक था। घटना के बाद से दोनों को नहीं देखा गया है।
अस्पतालों के बाहर अपने रिश्तेदारों को खोजने वाले लोगों की चीखों से वहां मौजूद लोगों का कलेजा मुंह को आ रहा था।
हादसे में अपने 18 वर्षीय पुत्र मनीष को खोने वाले विजय कुमार ने कहा कि यह खौफनाक रात थी। यहां के निवासी विजय कुमार वह दृश्य याद कर अभी भी सिहर उठते हैं जब उन्होंने अपने 18 साल बेटे के कटे हुए सिर की फोटो अपने व्हाट्सएप पर तड़के तीन बजे देखी। विजय के दो बेटों में से एक आशीष भी घटनास्थल पर था। उसकी जान बच गई लेकिन दूसरा बेटा मनीष उतना खुशकिस्मत नहीं निकला। विजय को जब इस हादसे का पता चला तो वह अपने बेटे की तलाश में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते रहे लेकिन कुछ पता नहीं चला। फिर अचानक उनके फोन के व्हाट्सएप पर एक फोटो आई जिसमें उनके बेटे का कटा हुआ सिर था। इस तलाश में उन्हें एक हाथ और एक पैर मिला लेकिन वह उनके बेटे का नहीं था। रूंधे गले से विजय बताते हैं, ''मनीष नीली जींस पहने हुए था, यह पैर उसका नहीं हो सकता। मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई।
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इस ह्रदय विदारक घटना के समय वहां मौजूद रहीं सपना को सिर में चोट आई है। उन्होंने बताया कि वह रावण दहन का घटनाक्रम व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए अपने पति को दिखा रही थीं। जब पुतले में आग लगी तो लोग पीछे हटने लगे और पटरियों के करीब आ गये। जब ट्रेन करीब पहुंच रही थी तो लोग पटरी खाली करने लगे और दूसरी पटरी पर आ गये। इतने में एक और ट्रेन तेज गति से वहां आ गई और फिर भगदड़ मच गई।
सपना ने इस हादसे में अपनी रिश्ते की बहन और एक साल की भतीजी को खो दिया। वह बताती हैं कि अफरातफरी में लोग इधर उधर भागने लगे और बच्ची पत्थरों पर जा गिरी और उसकी मां को लोगों ने पैरों तले रौंद दिया। उत्तर प्रदेश के हरदोई निवासी और दिहाड़ी मजदूर 40 साल के जगुनंदन को सिर और पैर में चोट आई है। उन्होंने बताया कि वह घटना के समय पटरियों पर नहीं थे लेकिन जब रावण जलने लगा तो आगे की तरफ मौजूद भीड़ पीछे हटने लगी और वह भी धक्का खाते हुए पीछे हो गए। क्षेत्र में ट्रेन यातायात प्रभावित हुआ है क्योंकि 37 रेलगाड़ियों को रद्द कर दिया गया है और 16 रेलगाड़ियों का मार्ग बदला गया है।
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अभी भी अपनों को तलाश रहे
हादसे के 24 घंटे बाद भी कई लोगों को अपनों की तलाश है। लोग तस्वीर लेकर अस्पताल और पुलिस दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं।