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आज संसद में घमासान के आसार, नागरिकता संशोधन विधेयक पर शिवसेना समेत ये पार्टियां करेंगी विरोध

नागरिकता संशोधन विधेयक(Citizenship Amendment Bill) पर लोकसभा(Loksabha) में आज पेश होने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अंतिम रिपोर्ट भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना के अलावा चार विपक्षी दलों की...

आज संसद में घमासान के आसार, नागरिकता संशोधन विधेयक पर शिवसेना समेत ये पार्टियां करेंगी विरोध
एजेंसी,नई दिल्लीMon, 07 Jan 2019 08:45 AM
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नागरिकता संशोधन विधेयक(Citizenship Amendment Bill) पर लोकसभा(Loksabha) में आज पेश होने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अंतिम रिपोर्ट भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना के अलावा चार विपक्षी दलों की सहमति नहीं है। इस समिति में उनके प्रतिनिधियों ने रिपोर्ट में अपना विरोध दर्ज कराया है। सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ बढ़ती कटुता के बीच उसकी सहयोगी शिवसेना ने रविवार को कहा कि वह संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करेगी। पार्टी नेता संजय राउत ने एक बयान में कहा कि असम गण परिषद ने शिवसेना से इस कानून का विरोध करने की अपील की थी, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया। असम के लोगों ने जाति, धर्म आदि से ऊपर उठकर इस प्रस्तावित कानून का विरोध किया। इस विधेयक के पारित होने से असमी लोगों के सांस्कृतिक, सामाजिक एवं भाषाई पहचान की सुरक्षा के लिए असम संधि में किए गए प्रयासों को इस प्रस्तावित कानून से ठेस पहुंचेगा।

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पार्टिया भी विरोध में- 
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, माकपा और समाजवादी पार्टी के सूत्रों ने बताया कि उनके सदस्यों ने इस विधेयक पर जेपीसी रिपोर्ट में अपनी असहमति दर्ज कराई है। असहमति भरे नोट में से एक में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 पर संयुक्त समिति के सदस्य के तौर पर हम कह सकते हैं कि अंतिम रिपोर्ट में समिति में आम सहमति नहीं थी। हम इस विधेयक के विरुद्ध हैं क्योंकि यह असम में जातीय विभाजन को सतह पर लाता है।

विपक्षी दलों का आरोप
विपक्षी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन संबंधी इस विधेयक का लक्ष्य अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों को 11 साल के बजाय छह साल भारत में रहने पर नागरिकता देना है।  इससे असम में जातीय विभाजन और सामने आएगी। असम के सिलचर में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कराने के केंद्र के संकल्प को दोहराया था।

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