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शिरोमणि अकाली दल की सीटें घटीं, पर स्थिति सुधरी; पिछले लोकसभा चुनाव में मिले थे 26.30% वोट

हाल में लोकसभा चुनावों में दो सीटें खोने के बावजूद शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का उत्साह कम नहीं हुआ है। दल का मानना है कि इस चुनावों से उसके मतों में बढ़ोतरी का रुझान शुरू हो गया है, जिसका फायदा उन्हें...

शिरोमणि अकाली दल की सीटें घटीं, पर स्थिति सुधरी; पिछले लोकसभा चुनाव में मिले थे 26.30% वोट
मदन जैड़ा,नई दिल्लीMon, 01 Jul 2019 06:46 AM
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हाल में लोकसभा चुनावों में दो सीटें खोने के बावजूद शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का उत्साह कम नहीं हुआ है। दल का मानना है कि इस चुनावों से उसके मतों में बढ़ोतरी का रुझान शुरू हो गया है, जिसका फायदा उन्हें आगामी विधानसभा चुनावों में मिल सकेगा। दल का मानना है कि लोगों का नजरिया उनके प्रति अब फिर से बदलने लगा है।

अकाली दल के वरिष्ठ नेत्रा नरेश गुजराल ने 'हिन्दुस्तान' से विशेष बातचीत में कहा कि 2014 में हमने पंजाब में लोकसभा की चार सीटें जीती थीं, लेकिन 2019 के चुनावों में उसकी सीटें घटकर दो रह गई। 2014 में जब लोकसभा चुनाव हुए थे तो राज्य में अकाली दल की सरकार थी। पर इस बार कांग्रेस की सरकार है। इसके बावजूद अकाली मतों में बढ़ोतरी का रुझान स्पष्ट दिख रहा है। गुजराल का मानना है कि इसका फायदा उन्हें आगामी विधानसभा चुनावों में मिल सकता है। राज्य में 2022 के शुरू में विधानसभा चुनाव होने हैं।

पिछले लोकसभा में 26.30 फीसदी मत मिले  
बता दें कि अकाली दल को 2014 के लोकसभा चुनावों में 26.30 फीसदी मत मिले थे और उसने चार सीटें खदूर साहिब, आनंदपुर साहिब, फिरोजपुर और बठिंडा जीती थी। लेकिन इस बार दो सीटें फिरोजपुर और भटिंडा ही वह जीत पाई। किन्तु इस बार उसका वोट प्रतिशत करीब सवा फीसदी बढ़कर 27.45 फीसदी हो गया। यही बढ़ोत्तरी अकालियों के संतोष का कारण बनती दिख रही है।

हालांकि यह बढ़ोत्तरी मामूली है, लेकिन दल का कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद जब 2017 में विधानसभा चुनाव हुए तो मत प्रतिशत घटकर 25.33 फीसदी रह गया था और राज्य की सत्ता अकाली दल के हाथ से निकल गई थी। इसलिए सवा फीसदी की बढ़ोत्तरी भी अहम है। यदि विधानसभा चुनावों से तुलना की जाए तो बढ़ोत्तरी दो फीसदी से भी ज्यादा है। 

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