अपने शहर की कायापलट देखकर... मोदी सरकार के कामकाज की फिर मुरीद हुईं JNU की पूर्व छात्रा शेहला रशीद
शेहला ने इस पोस्ट के साथ जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा, उनके दफ्तर के अकाउंट, पीएमओ का अकाउंट और श्रीनगर के डीएम के अकाउंट को भी टैग किया है। इससे पहले भी शेहला ने मोदी सरकार की तारीफ की थी।

Shehla Rashid: लंबे समय तक मोदी सरकार की आलोचक रहीं जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) की पूर्व स्टूडेंट शेहला रशीद अब बदली-बदली नजर आ रही हैं। पिछले कुछ महीनों में शेहला ने कई बार जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी सरकार की तारीफ की है। एक बार फिर से बुधवार को उन्होंने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने अपने शहर श्रीनगर की कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा कि शहर की कायापलट होते हुए देखकर अच्छा लगा।
शेहला रशीद ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, ''अपने शहर की कायापलट होते देखकर अच्छा लगा। अंदरूनी शहर में भीड़भाड़ कम करने का निर्णय पैदल यात्रियों और खरीदारों के लिए वास्तव में मददगार साबित हुआ है। बहुत कम प्रदूषण, शोर आदि। बेहतर पार्किंग, सार्वजनिक सुविधाएं।'' इस पोस्ट के साथ उन्होंने अपने शहर के विकास की कुछ तस्वीरें भी साझा की हैं। इसमें पैदल चलने वालों के लिए किए गए विकास कार्यों वाली तस्वीर है। रशीद ने स्मार्टसिटी, यूरोप फील्स, श्रीनगर आदि के हैशटैग का भी इस्तेमाल किया। साथ ही, क्लैप वाली इमोजी भी बनाई।
शेहला ने इस पोस्ट के साथ जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा, उनके दफ्तर के अकाउंट, पीएमओ का अकाउंट और श्रीनगर के डीएम का अकाउंट को भी टैग किया है। इससे पहले भी शेहला ने कश्मीर को लेकर मोदी सरकार की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार के नेतृत्व में कश्मीर के हालात सुधरे हैं और लोगों की जिंदगियां बच रही हैं। शेहला ने हिजबुल आतंकवादी के भाई रईस मट्टू का एक वीडियो शेयर करते हुए ये बातें कही थीं। रईस मट्टू ने स्वतंत्रता दिवस से पहले जम्मू-कश्मीर के सोपोर में अपने घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।
रईस मट्टू का वीडियो शेयर करते हुए शेहला रशीद शोरा ने लिखा था, "इसे स्वीकार करना भले ही असुविधाजनक लग रहा हो, लेकिन मोदी सरकार और एलजी प्रशासन के तहत कश्मीर में मानवाधिकार रिकॉर्ड में सुधार हुआ है। मेरा मानना है कि सरकार के स्पष्ट रुख ने कुल मिलाकर जीवन बचाने में मदद की है। यह मेरा दृष्टिकोण है।" वहीं, जम्मू-कश्मीर से चार साल पहले आर्टिकल 370 को रद्द किए जाने को लेकर भी उन्होंने पहले चुनौती दी थी, लेकिन जब सुनवाई का समय आया था तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका से अपना नाम वापस ले लिया था। इसके अलावा, नौकरशाह शाह फैसल का भी नाम याचिका से हटा दिया गया था।