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'गुजरात दंगों पर बहस का फायदा नहीं'', BBC डॉक्यूमेंट्री विवाद पर बोले शशि थरूर

थरूर ने कहा कि गुजरात दंगों के घाव अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि इस मुद्दे पर बहस करने से फायदा नहीं होगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही अपना आदेश सुना चुका है।

'गुजरात दंगों पर बहस का फायदा नहीं'', BBC डॉक्यूमेंट्री विवाद पर बोले शशि थरूर
Gaurav Kalaकुणाल गौरव, हिन्दुस्तान टाइम्स,नई दिल्लीSat, 28 Jan 2023 10:01 AM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के विवाद पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने शनिवार को चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी देश के लोगों से 2002 के गुजरात दंगों से 'आगे बढ़ने' के लिए नहीं कहा। थरूर ने कहा कि गुजरात दंगों के घाव अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि इस मुद्दे पर बहस करने से फायदा नहीं होगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पहले ही अपना आदेश सुना चुका है। इसके बजाय हमे इससे बड़े समकालीन मामलों पर बात करने की जरूरत है।

एक ऑनलाइन समाचार पोर्टल से बात करते हुए पहले तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने कहा था कि भारत "इस त्रासदी से आगे बढ़ गया है" और लोगों को इस मामले से आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा था कि इस घटना को दो दशक बीत चुके हैं और सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपना फैसला सुना दिया है।  हालांकि, कांग्रेस नेता ने कहा कि वह "उन लोगों पर आक्षेप नहीं लगा रहे हैं जो मानते हैं कि आधिकारिक जांच से पूरी सच्चाई सामने नहीं आई है।"

थरूर की टिप्पणियों ने कुछ वर्गों में नाराजगी पैदा कर दी है क्योंकि उन्होंने औपनिवेशिक शासन के लिए अंग्रेजों से उनकी क्षतिपूर्ति मांगों को उजागर किया। अशोक सिंह गरचा नाम के एक ट्विटर यूजर ने कहा, "शशि थरूर ने 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए ब्रिटिश सरकार से माफी की मांग की। जबकि, कल उन्होंने भारतीयों से 2002 के गुजरात नरसंहार से आगे बढ़ने के लिए कहा!" इस पर थरूर ने जवाब दिया, 'मैंने ऐसा नहीं कहा।'

थरूर ने कहा, “मैंने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि मेरा मानना ​​है कि गुजरात के घाव पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं, लेकिन यह देखते हुए कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतिम निर्णय सुना दिया है, हमें इस मुद्दे पर बहस करने से बहुत कम लाभ होगा।"

आगे कहा, "मैं स्वीकार करता हूं कि अन्य लोग मेरे विचार से असहमत हो सकते हैं, लेकिन सांप्रदायिक मुद्दों पर मेरे विचार चार दशक के रिकॉर्ड और गुजरात दंगा पीड़ितों के लिए खड़े होने के दो दशकों के रिकॉर्ड को विकृत करना है। यह अपनों के लिए दुर्भावनापूर् है।”

गौरतलब है कि 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' शीर्षक वाली बीबीसी डॉक्यूमेंट्री प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निभाई गई भूमिका की आलोचना पर आधारित है। उस वक्त मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, जब सांप्रदायिक हिंसा ने 1,000 से अधिक लोगों को मार डाला। इसमें ज्यादातर मुस्लिम थे। दो भाग वाली इस डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर भारत में रोक है। केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते इसे ब्लॉक कर दिया है।

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