राजनीति वाले धर्म में दखल न दें, गारंटी देते हैं कि हम पॉलिटिक्स पर नहीं बोलेंगे: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
शंकराचार्य ने कहा, 'हम इसी सिद्धांत के हैं, मगर राजनीति वालों को भी तो धर्म के मामलों में हस्ताक्षेप नहीं करना चाहिए। पीएम मोदी अगर मंदिर में आकर धर्म स्थापना करते हैं तो आप लोग उसे लाइव दिखाते हो।'

ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर दिए बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इसे राजनीतिक बयान करार देते हुए गलत बताया जा रहा है। दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष और श्रीदूधेश्वरनाथ मठ मंदिर के श्रीमहंत नारायण गिरि ने इसकी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म परंपरा में शंकराचार्य शीर्ष आसन है। उनका काम पूजा पाठ करना है और ऐसे पूज्यपाद का किसी के घर जाकर राजनीतिक बयान देना अनुचित है। शिवसेना नेता संजय निरूपम ने भी कुछ ऐसी ही बात कही है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने अब खुद इन आलोचनाओं का जवाब दिया है।
सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो क्लिप में अविमुक्तेश्वरानंद कहते सुनाई देते हैं कि हम संन्यासी हैं। हमें राजनीतिक बयान नहीं देना चाहिए। यह पूरी तरह से सही है। उन्होंने कहा, 'हम इसी सिद्धांत के हैं, मगर राजनीति वालों को भी तो धर्म के मामलों में हस्ताक्षेप नहीं करना चाहिए। पीएम मोदी अगर मंदिर में आकर धर्म स्थापना करते हैं तो आप लोग उसे लाइव दिखाते हो। अगर शंकराचार्य राजनीति के बारे में कुछ बोल दें तो इसे गलत बताया जाता है।' उन्होंने कहा कि राजनीति के लोग धर्म में हस्तक्षेप बंद करें। हम गारंटी देते हैं कि पॉलिटिक्स पर बोलना बंद कर देंगे। लेकिन, आप हमारे धर्म में लगातार हस्तक्षेप करते जा रहे हो तो क्या हम धर्म के बारे में बोलें।
हमने कोई राजनीति की बात नहीं कही: अविमुक्तेश्वरानंद
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, 'जो राजनीतिज्ञ हैं क्या उन्हें अपने धर्म का पालन नहीं करना चाहिए? क्या एक शंकराचार्य के रूप में हमें किसी को सच्चा हिंदुत्व वाला नहीं बताना चाहिए? क्या विश्वासघात जैसा जो पाप है उसे लेकर हमें जनता को सचेत नहीं करना चाहिए? देखो, अगर तुम धार्मिक हो तो तुम्हें किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए।' उन्होंने कहा कि हमने कोई राजनीति की बात नहीं कही है। हमने तो धर्म की बात कही है। केवल हम हिंदू हैं, कह देने से नहीं होगा। जब हम धर्म के मर्म को जानेंगे और उसे अपनाएंगे तभी हिंदू होंगे। शंकाराचार्य ने कहा, 'धार्मिकता अपने सच्चे स्वरूप में लोगों के जीवन में प्रतिष्ठित हो, उसकी व्याख्या समय-समय पर होनी चाहिए। अगर धर्माचार्य ऐसा नहीं करेगा तो मान लीजिए कि वह अपना कार्य नहीं कर रहा है। इसलिए जहां पर जैसा मौका होता है वहां हम धर्म की व्याख्या करते हैं। हमारा राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।'
ठाकरे को लेकर शंकराचार्य ने क्या कहा
बता दें कि ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सोमवार को कहा था कि उद्धव ठाकरे विश्वासघात के शिकार हैं। ठाकरे से मुंबई के बांद्रा स्थित उनके आवास मातोश्री में मुलाकात के बाद अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, 'उद्धव ठाकरे के साथ विश्वासघात हुआ है और कई लोग इससे आक्रोशित हैं। मैं उनके आग्रह पर उनसे मिला और कहा कि जनता को हुई पीड़ा उनके दोबारा मुख्यमंत्री बनने तक कम नहीं होगी।' शिवसेना नेता संजय निरूपम ने इसे लेकर कहा कि राजनीति स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कार्यक्षेत्र नहीं है और उन्हें इस मुद्दे पर बयान देने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन बनाया था। पूर्व सांसद ने कहा, ‘यह विश्वासघात था। अगर यह विश्वासघात नहीं था तो एक व्यक्ति की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किया गया राजनीतिक फैसला था।’




