SC का फैसला: अब जांच अधिकारी का सूचनाकर्ता होना बरी होने का आधार नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था देते हुए अपना गत वर्ष का फैसला पलट दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी मादक पदार्थ तस्करी में जुर्म की सूचना देने वाला और जांच अधिकारी का एक ही होना बरी...
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था देते हुए अपना गत वर्ष का फैसला पलट दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी मादक पदार्थ तस्करी में जुर्म की सूचना देने वाला और जांच अधिकारी का एक ही होना बरी होने का आधार नहीं होगा।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, नवीन सिन्हा और केएम जोसेफ की पीठ ने यह आदेश देते हुए अपने पिछले साल अगस्त में दिए गए फैसले (मोहनलाल बनाम पंजाब राज्य, 2018) को पलट दिया। कोर्ट ने कहा कि सभी लंबित आपराधिक मामले, ट्रायल और अपीलें जो मोहनलाल (एनडीपीएस केसों में जांच अधिकारी और सूचनाकर्ता का एक होना बरी होने का आधार) से पहले दायर की गई हैं, केस के व्यक्तिगत तथ्यों से संचालित होंगी। इनमें मुजरिमों को बरी नहीं किया जाएगा। मोहनलाल फैसले में व्यवस्था भी जस्टिस रंजन गोगोई, नवीन सिन्हा और आर भानुमति की पीठ ने दी थी। लेकिन अब नई व्यवस्था में एक जज बदल गए हैं और जस्टिस भानुमति की जगह केएम जोसेफ आ गए हैं।
पुलवामा आतंकी हमला: आतंकियों से हमदर्दी रखने पर भी कड़ी कार्रवाई होगी
पीठ ने फैसले में स्पष्ट किया कि उसने क्यों मोहनलाल केस में अपवाद का सृजन नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले के तथ्यों को देखते हुए इस बात की आवश्यकता नहीं दिखाई थी, वहीं, कोर्ट का ध्यान भी अपवाद सृजित करने की ओर नहीं खींचा गया था।
समाज के हित महत्वपूर्ण :
कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त के अधिकारों के साथ समाज के हितों का भी बराबर महत्व है। समाज का हित यह है कि अपराधी को सजा मिले और समाज में सही संदेश जाए चाहे वह कानून का पालन करने वाला नागरिक हो या अपराध को आतुर व्यक्ति। मानवाधिकार सिर्फ अपराधी के ही नहीं हैं, बल्कि पीड़ितों के भी हैं। इसलिए मोहन लाल फैसले को अभियुक्तों के लिए बरी होने को स्प्रिंग बोर्ड नहीं बनने दिया जा सकता। यह कहकर कोर्ट ने एक अपील खारिज कर दी जिसमें एनडीपीएस एक्ट के तहत मिली सजा को चुनौती दी गई थी।
पुलवामा हमला : CRPF ने कहा कि संकट में फंसे किसी भी कश्मीरी के लिए है ‘मददगार’
फैसले पर संदेश व्यक्त किया था
गौरतलब है कि इससे पूर्व दो जजों की बेंच ने भी मोहनलाल फैसले पर संदेह व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था कि हमें इस फैसले से सहमत होने में दिक्कत महसूस हो रही है। जांच अधिकारी और सूचनाकर्ता के एक ही होने के कई निर्णित मामलों में जांच और सबूतों को अलग मानकों पर परखा गया है।
ये है मामला :
मोहनलाल मामले में जांच करने वाले अधिकारी और इसकी सूचना देने वाले कि अभियुक्त के पास मादक पदार्थ है, एक ही थे। पुलिस ने मोहन लाल को गश्त के दौरान चार किलो अफीम के साथ पकड़ा था। अफीम जब्त/पकड़ने वाले एसआई ने ही इस मामले में थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई और जांच भी की थी।
पुलवामा आतंकी हमला: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति की मांग तेज