संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन संसद भवन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पुरानी इमारत को लेकर भी अपना प्लान बता दिया है। उन्होंने लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ से निवेदन करते हुए कहा कि वह विचार करके फैसला करें कि पुराने संसद भवन को 'संविधान सदन' के रूप में जाना जाए जो कि नई पीढ़ी के लिए एक तोहफा हो। उन्होंने कहा यह भवन हमें प्रेरणा देता रहे और संविधान को आकार देने वाले महापुरुषों की याद दिलाता रहे। बता दें कि आज यानी 19 सितंबर को संसद नई इमारत में शिफ्ट हो रही है। आज से संसद की नई इमारत से ही कार्यवाही होगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज हम यहां से विदाई लेकर नए भवन में जा रहे हैं। गणेश चतुर्थी के दिन हम नए भवन में बैठ रहे हैं। लेकिन मैं दोनों ही सदन अध्यक्षों से प्रार्थना कर रहा हूं, आशा है कि आप दोनों उस विचार पर मंथन करके निर्णय जरूर करिए। मेरा सुझाव है कि जब हम नए सदन में जा रहे हैं तब इसकी गरिमा कभी भी कम नहीं होनी चाहिए। इसे पुरानी पार्ल्यामेंट कहकर ना छोड़ दें इसलिए प्रार्थना है कि भविष्य में अगर सहमति दें तो इसको संविधान सदन के रूप में जाना जाए। इससे उन लोगों को नमन होगा जो यहां बैठा करते हैं। यह भावी पीढ़ी को एक तोहफा होगा।
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने पुराने संसद भवन और सेंट्रल हॉल का इतिहास भी बताया। उन्होंने कहा, इसी सेंट्रल हॉल में राष्ट्रगान और तिरंगे को अपनाया गया। 1952 के बाद दुनिया के करीब 41 राष्ट्राध्यक्षों ने हमारे सांसदों को संबोधित किया है। हमारे राष्ट्रपति महोदयों के द्वारा 86 बार यहां संबोधन किया गया है। बीते सात दशकों में जो भी साथी इन जिम्मेदारियों से गुजरे हैं, अनेक कानूनों, अनेक संशोधन और अनेक सुधारों का हिस्सा रहे हैं। अभी तक लोकसभा और राज्यसभा ने मिलकर करीब-करीब 4 हजार से अधिक कानून पास किए हैं। कभी जरूरत पड़ी तो जॉइंट सेशन से भी कानून बनाए गए। दहेज रोकथाम कानून, बैंकिंग सर्विक कमीशन बिल हो, आतंक से लड़ने के लिए कानून हों, ये इसी गृह में संयुक्त सत्र में पास किए गए। इसी संसद में मुस्लिम बहन बेटियों को न्याय की जो प्रतीक्षा थी, शाहबानो केस के कारण गाड़ी उलटी पटरी पर चल गई थी। इसी सदन ने हमने उन गलतियों को ठीक किया और हम सबने मिलकर तीन तलाक कानून पारित किया।
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