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गहलोत-पायलट विवाद के बीच कांग्रेस आलाकमान के पास क्या हैं ऑप्शन, कैसे हल हो सकता है राजस्थान संकट

कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन का पूरा मन बना लिया है। अशोक गहलोत की जगह सचिन पायलट को कमान सौंपी जा सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गहलोत इसके लिए कभी तैयार होंगे?

गहलोत-पायलट विवाद के बीच कांग्रेस आलाकमान के पास क्या हैं ऑप्शन, कैसे हल हो सकता है राजस्थान संकट
Madan Tiwariलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीThu, 01 Dec 2022 06:48 PM

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Sachin Pilot vs Ashok Gehlot: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच का विवाद एक बार फिर से सुर्खियों में है। बीते दिनों कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने राजस्थान का दौरा करके दोनों नेताओं के बीच फिर से 'सुलह' करवाने की कोशिश की, जिसके बाद यह विवाद कुछ दिनों के लिए खत्म होता हुआ दिखाई देने लगा है। हालांकि, राजनैतिक एक्सपर्ट्स मानते हैं कि गहलोत और पायलट के बीच में विवाद पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, बल्कि कुछ दिनों के लिए बयानबाजी पर रोक लगी है। दरअसल, इस विवाद के तभी खत्म होने के संकेत हैं, जब कांग्रेस आलाकमान राजस्थान संकट पर कोई ठोस निर्णय ले लेगा। इसके आसार भी 'भारत जोड़ो यात्रा' के राजस्थान से गुजरने और गुजरात चुनाव के नतीजों के बाद ही लगाए जा रहे हैं। 

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन का पूरा मन बना लिया है। अशोक गहलोत की जगह सचिन पायलट को कमान सौंपी जा सकती है। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि क्या अशोक गहलोत इसके लिए कभी तैयार होंगे? सभी को पता है कि गहलोत और पायलट के बीच में 36 का आंकड़ा लंबे समय से रहा है और गहलोत किसी भी कीमत पर पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनने देना चाहते। दोनों के बीच विवाद को खत्म करने के लिए कांग्रेस आलाकमान के पास कुछ विकल्प हैं, जिनको वह लागू करके राजस्थान संकट को हल करने पर विचार कर सकता है।

गहलोत को दिल्ली बुलाने पर भी विचार
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अशोक गहलोत जल्दी राजस्थान के मुख्यमंत्री पद से हटने के लिए राजी नहीं होने वाले हैं। इसके लिए कांग्रेस आलाकमान पर गहलोत को मनाने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। उन्हें दिल्ली बुलाकर कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने का भी कोई काम सौंपा जा सकता है। हालांकि, इसकी उम्मीद बहुत कम है कि गहलोत इस पर राजी होंगे। दरअसल, अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष बनने का मौका छोड़ दिया। ऐसे में फिर वह अब दिल्ली जाकर पार्टी के लिए काम करेंगे, इसकी गुंजाइश बहुत कम ही नजर आती है। उधर, कांग्रेस आलाकमान के पास एक और विकल्प यह भी है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के बाद अशोक गहलोत को राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बंटने वाले टिकटों में उनके समर्थकों को वरीयता दी जाए। 

सचिन पायलट को मनाने पर कांग्रेस करेगी विचार?
कांग्रेस आलाकमान के पास एक विकल्प यह भी है कि यदि अशोक गहलोत किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री पद छोड़ने पर राजी नहीं होते हैं तो सचिन पायलट को अगले चुनाव तक रुकने के लिए मनाया जाए। राहुल और प्रियंका गांधी के करीबी होने के चलते सचिन पायलट को मनाना ज्यादा आसान होगा। कांग्रेस अलाकमान तब तक सचिन पायलट को राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उनके समर्थकों को अगले चुनाव में ज्यादा टिकटों के देने का वादा कर सकती है। इससे अगले साल विधानसभा चुनाव होंगे तो पायलट गुट के विधायकों की संख्या अधिक रह सकती है और फिर उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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