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सबरीमाला मंदिर के आज से खुल रहे कपाट, लेकिन बेहद गुस्से में प्रदर्शनकारी

सुप्रीम कोर्ट की ओर से सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के आदेश के बाद आज पहली बार मंदिर के कपाट मासिक पूजा के लिए खुलेंगे। लेकिन कई संगठनों की ओर से फैसले के विरोध के कारण...

Sabarimala Temple row(REUTERS)
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फैसले का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को मंदिर की ओर आ रहे वाहनों की जांच शुरू की।
2/ 3फैसले का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को मंदिर की ओर आ रहे वाहनों की जांच शुरू की।
Women devotees take part in a protest against a Supreme Court verdict
3/ 3Women devotees take part in a protest against a Supreme Court verdict
तिरुवनंतपुरम | एजेंसियांWed, 17 Oct 2018 07:16 AM
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सुप्रीम कोर्ट की ओर से सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के आदेश के बाद आज पहली बार मंदिर के कपाट मासिक पूजा के लिए खुलेंगे। लेकिन कई संगठनों की ओर से फैसले के विरोध के कारण क्षेत्र में तनाव की स्थिति है। 

फैसले का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को मंदिर की ओर आ रहे वाहनों की जांच शुरू की। उन्होंने प्रतिबंधित उम्र वर्ग की महिलाओं को लेकर मंदिर की ओर से जाने वाले वाहनों को रोक दिया। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शनकारी मंदिर जाने के मार्ग में स्थित निलाकल बेस कैंप पर डेरा डाले हुए हैं और महिलाओं को पम्बा की ओर भी नहीं जाने दे रहे हैं, जहां तक पहले महिलाओं को जाने की इजाजत थी।

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पहाड़ी पर स्थित सबरीमला मंदिर से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित शिविर में परंपरागत साड़ी पहने महिलाओं के समूह को प्रत्येक वाहनों को रोकते देखा जा सकता है। इनमें वरिष्ठ नागरिक भी शामिल हैं। निजी वाहनों के अलावा श्रद्धालुओं ने केरल राज्य पथ परिवहन निगम की बसें भी रोकीं और उनमें से युवतियों को बाहर निकलने को कहा। एक महिला आंदोलनकारी ने कहा, प्रतिबंधित उम्र 10 से 50 साल आयु वर्ग की महिलाओं को निलाकल से आगे नहीं जाने दिया जाएगा और उन्हें मंदिर में पूजा भी नहीं करने दी जाएगी।

गौरतलब है कि मंदिर को मलयालम थुलाम महीने में पांच दिन की मासिक पूजा के लिए खोला जा रहा है। 22 अक्तूबर को इस मंदिर के कपाट एक बार फिर बंद हो जाएंगे। 

राज्य सरकार फैसले को लागू करेगी 
केरल सरकार ने साफ किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने पर कृत संकल्प है। मुख्यमंत्री पी.विजयन ने कहा कि किसी को भी कानून व्यवस्था को हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी। साथ ही राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगी, बल्कि आदेश को उसी स्वरूप में लागू करेगी। 

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मुद्दा सुलझाने के लिए हुई बैठक बेनतीजा
मामले का हल निकालने के लिए मंदिर का प्रबंधक त्रावणकोर देवास्म बोर्ड और मंदिर के संरक्षक पंडालम शाही परिवार की मंगलवार को बैठक हुई। लेकिन यह बेनतीजा रही। पंडालम शाही महल में प्रबंधक समिति के अध्यक्ष शशिकुमार वर्मा ने कहा, शाही परिवार ने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेन की मांग की। लेकिन बोर्ड इस पर सहमत नहीं है। इसलिए शाही परिवार के सदस्यों ने बैठक से वॉकआउट किया। उन्होंने दो टूक कहा कि बैठक संतोषजनक नहीं थी। हालांकि, दोनों पक्ष एक बार फिर शुक्रवार को बैठक करने पर सहमत हुए हैं। बोर्ड के अध्यक्ष और माकपा नेता पी पद्मकुमार ने कहा कि कोर्ट के आदेश के मुद्दे पर बोर्ड के सदस्यों की अलग-अलग राय है। 

सांसद ने अध्यादेश की मांग की 
पत्थनथिट्टा से लोकसभा सांसद और कांग्रेस नेता एंटो एंथनी ने इस मामले में केंद्र से अध्यादेश लाकर इस मामले को सुलझाने की मांग की। बता दें, इसी जिले में मंदिर स्थित है। उन्होंने कांग्रेस की महिला इकाई की ओर से आयोजित धरना प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और केरल कांग्रेस (एम) ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ प्रदर्शन किया। एंथनी ने कहा, बुधवार को मासिक पूजा के मंदिर खुलेगा, जिसमें सभी धर्मों की आस्था है। लेकिन मौजूदा विवाद की वजह से हम चिंतित हैं। कोर्ट के आदेश का अयप्पा भक्तों के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी कर रहे हैं।

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महिला ने खुदकुशी की कोशिश की 
सबरीमाला पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बड़ी संख्या में केरल की महिलाएं विरोध कर रही हैं और उन्होंने जगह-जगह विरोध मार्च निकाला है। इसी कड़ी में मंगलवार को एक महिला ने सार्वजनिक रूप से फांसी लगाने की कोशिश की। हालांकि, वहां खड़े लोगों ने उसे रोक दिया। बता दें, कोर्ट के आदेश का विरोध कर रही शिवसेना की महिला कार्यकर्ताओं ने भी घोषणा की है कि अगर बुधवार को प्रतिबंधित आयुवर्ग की महिलाएं मंदिर में प्रवेश की कोशिश करेंगी, तो वे सामूहिक रूप से आत्महत्या करेंगी। 

सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका विचाराधीन 
इस फैसले के खिलाफ पहले ही कई संगठनों ने अदालत का रुख किया है। इनमें नेशनल अयप्पा डिवोटीज एसोसिएशन की अध्यक्ष शैलजा विजयन प्रमुख हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इसपर त्वरित सुनवाई से इनकार कर दिया है। ऑल केरल ब्राह्मण एसोसिएशन ने भी फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है। 

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