सभी के लिए खुलने जा रहे हैं सबरीमाला के कपाट, हालात बेहद तनावपूर्ण, जानिए 10 खास बातें
केरल के सबरीमाला मंदिर (Sabarimla Temple) के दरवाजे आज से सभी आयु वर्ग की महिलाओं के लिए खुलने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद केरल का सबरीमाला मंदिर पहली बार खुल रहा है। लेकिन,...
केरल के सबरीमाला मंदिर (Sabarimla Temple) के दरवाजे आज से सभी आयु वर्ग की महिलाओं के लिए खुलने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद केरल का सबरीमाला मंदिर पहली बार खुल रहा है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बाद महिलाओं की एंट्री रोकने के काफी प्रयास किए जा रहे हैं। इसके विरोध में आत्महत्या तक की धमकी दी जा चुकी है। हालांकि, केरल सरकार इसका विरोध नहीं कर रही है। आइये जानते हैं क्या है 10 खास बातें-
1- सबरीमाला मंदिर के कपाट आज शाम पांच बजे खुलने जा रहे हैं। लेकिन यहां महिलाओं को प्रवेश ना देने को लेकर लगातार कई कोशिशें हो रही हैं। तनावपूर्ण हालात को देखते हुए राज्य सरकार की तरफ से 200 महिला पुलिसकर्मियों समेत कुल एक हजार पुलिसबल को निलेक्कल और पम्पा बेस पर तैनात किया है। जबकि, शनिधानम में 500 सुरक्षाकर्मियों को लगाया गया है।
2-मंगलवार को हालात को सुलझाने के लिए त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) के अंतिम प्रयास बेकार रहे जहां पंडालम शाही परिवार और अन्य पक्षकार इस मामले में बुलाई गयी बैठक को छोड़कर चले गये। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के मुद्दे पर बातचीत करने में बोर्ड की अनिच्छा से ये लोग निराश दिखे।
3-कई संगठनों और पार्टियों के लोग महिलाओं को मंदिर तक पहुंचने से रोक रहे हैं। पुलिस ने सात प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया, प्रदर्शनकारियों को आस-पास से हटाया जा रहा है।
4- केरल सरकार ने मंगलवार को भरोसा दिया कि वह सबरीमाला जाने वाली 10 से 50 साल उम्र की महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर संभव उपाय करेगी। सरकार का यह बयान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के विरोध में हो रहे आंदोलन के बीच आया है।
5-केरल के मुख्यमंत्री पी.विजयन ने कहा, राज्य सरकार अदालत के फैसले का पूरा सम्मान करेगी। वह सभी इच्छुक महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन सुनिश्चित करेगी। मंदिर परिसर में उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।
6-विजयन ने कहा, हम किसी को भी कानून व्यवस्था को हाथ में लेने की इजाजत नहीं देंगे। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सभी श्रद्धालु मंदिर में जाकर दर्शन कर सकें। पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं होगी।
7-केरल के मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगी। बता दें कि कई संगठन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे हैं और इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग की है।
8- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि धर्म एक गरिमा और पहचान है। अयप्पा कुछ अलग नहीं हैं। जो नियम जैविक और शारीरिक प्रक्रिया पर बने हैं वो संवैधानिक टेस्ट पर पास नहीं हो सकते।
9- उस वक्त के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि पूजा का अधिकार सभी श्रद्धालुओं को है. उन्होंने कहा कि सबरीमाला की पंरपरा को धर्रम का अभिन्न हिस्सा नहीं माना जा सकता। जस्टिस नरीमन ने कहा कि मंदिर में महिलाओं को भी पूजा का समान अधिकार। ये मौलिक अधिकार है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबरीमाला की परंपरा असंवैधानिक है।
10- 1. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि मासिक धर्म की आड़ लेकर लगाई गई पाबन्दी महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है। अयप्पा के श्रद्धालु कोई अलग वर्ग नहीं हैं। महिलाओं को मासिक धर्म के आधार पर सामाजिक तौर पर बाहर करना संविधान के खिलाफ है। ये कहना कि महिला 41 दिन का व्रत नहीं कर सकतीं ये स्टीरियोटाइप है। वहीं, जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने कहा था कि इस मुद्दे का दूर तक असर जाएगा। धार्मिक परंपराओं में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। अगर किसी को किसी धार्मिक प्रथा में भरोसा है तो उसका सम्मान हो।
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