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सबरीमाला विवादः मंदिर में महिलाओं को दूसरे दिन भी नहीं मिला प्रवेश, केरल में तनाव जारी

केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ कई संगठनों ने गुरुवार को केरल बंद बुलाया। इसका असर राज्य के कई हिस्सों में देखने को मिला।...

सबरीमाला विवादः मंदिर में महिलाओं को दूसरे दिन भी नहीं मिला प्रवेश, केरल में तनाव जारी
एजेंसी,तिरुवनंतपुरमFri, 19 Oct 2018 01:15 AM
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केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ कई संगठनों ने गुरुवार को केरल बंद बुलाया। इसका असर राज्य के कई हिस्सों में देखने को मिला। छिटपुट घटनाओं को छोड़कर बंद लगभग शांतिपूर्ण रहा। 
सबरीमाला कर्म समिति ने गुरुवार सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक बंद बुलाया था। इसका भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए ने समर्थन किया था। वहीं सबरीमाला संरक्षण समिति ने 24 घंटे राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है, जिसका प्रवीण तोगड़िया के नवगठिक संगठन अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद ने समर्थन किया है। 

अधिकारियों ने बताया कि कोझीकोड, मलप्पुरम व यहां के कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने केरल राज्य सड़क परिवहन निगम के बसों पर पथराव किया, जिसके बाद उनका संचालन रोक दिया गया। महानवमी के मौके पर सभी राज्य व केंद्र सरकार के कायार्लय, बैंक व शैक्षणिक संस्थान बंद थे।

दुकानें व बाजार भी बंद है। तिरुवनंतपुरम व कोच्चि के आईटी पार्क में भी लोगों की कम मौजूदगी रही। बंद का असर रेल यात्रियों पर पड़ा उन्हें स्टेशनों से टैक्सी व सार्वजनिक वाहनों पाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सबरीमाला जा रहे श्रद्धालु भी परिवहन के साधन नहीं होने पर जगह-जगह फंस गए। 

भाजपा नेता गिरफ्तार 

पुलिस ने धारा 144 लागू होने के बावजूद प्रदर्शन करने के आरोप में भारतीय जनता युवा मोर्चा के केरल इकाई अध्यक्ष प्रदेश बाबू को निलाकल बेस कैंप से हिरासत में लिया। बाबू के अलावा 41 भाजपा कार्यकर्ताओं को भी पुलिस ने पकड़ा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे राहुल ईश्वर और 20 अन्य को स्थानीय अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में ले लिया है। इनपर बुधवार को मीडिया कर्मियों से दुर्व्यवहार करने का आरोप है, हालांकि, राहुल ईश्वर ने इससे इनकार किया है और राज्य सरकार पर फंसाने का आरोप लगाया है। 

सबरीमाला के आसपास भारी सुरक्षा 

प्रदर्शनों पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन ने बुधवार को ही मंदिर के आसपास और यात्रा के प्रमुख पड़ाव निलाकल व पम्पा में धारा 144 लगाई गई थी। सबरीमाला, पम्पा में भी अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और महानिरीक्षक स्तर के अधिकार 24 घंटे स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। तिरुवनंतपुरम में सशस्त्र पुलिस बल और कमांडों को भी किसी भी स्थति से निपटने के लिए तैयार रखा गया है। 

महिला पत्रकार को प्रदर्शनकारियों ने रोका 

प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को न्यूयॉर्क टाइम्स की भारत में संवाददाता सुहासिनी राज को मंदिर जाने से रोक दिया। सुहासिनी की उम्र 45 साल बताई जा रही है, हालांकि उसकी पुष्टि नहीं हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक वह अपने विदेशी सहयोगी के साथ पम्पा बेस कैंप तक पहुंच गई थी। लेकिन भीड़ ने मानव शृंखला बनाकर उनकार रास्ता रोक दिया। हालांकि, सुहासिनी ने प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की कि वह पूजा के लिए नहीं बल्कि काम के सिलसिले में आई हैं। पर वे नहीं माने। बाद में सुहासिनी ने कहा, मैंने सोचा था कि सुप्रीम के आदेश के बाद महिलाओं की पहुंच आसान होगी। लेकिन हिंसक भीड़ ऐसा नहीं होने दे रही है। उन्होंने दुर्व्यवहार का भी आरोप लगाया। सुहासिनी ने कहा कि हिंसा से बचने के लिए मैंने वापस लौटने का फैसला किया। 

मुख्य पुजारी ने महिलाओं के नहीं आने की अपील की 

सबरीमाला मंदिर के मुख्य तंत्री (पुजारी) कंडारू राजीवरू ने गुरुवार को प्रतिबंधित उम्र की महिलाओं को सबरीमाला नहीं आने की अपील की। इसके साथ ही उन्होंने अयप्पा के नाम पर हिंसा को अनुचित करार दिया। 

कंडारू ने कहा, मासिक पूजा एवं अनुष्ठान करना हमारा कर्तव्य और जिम्मेदारी है। हम परंपरा नहीं तोड़ेंगे। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। लेकिन, श्रद्धालुओं की भावनाओं और मंदिर की परंपरा एवं रीति रिवाज पर विचार करते हुए मैं आपसे सबरीमला नहीं आने का विनम्र अनुरोध करता हूं। उन्होंने कहा, हर किसी से यह अनुरोध किया कि वे मंदिर परिसर को रणक्षेत्र में तब्दील नहीं करें। कंडारू ने संदेह जताया कि कुछ लोग जानबूझक कर सबरीमाला को बदनाम करने के लिए क्षेत्र को युद्ध के मैदान में बदलने को उतारू हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में श्रद्धालुओं का ध्यान नहीं रखा : संघ 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को अपने दशहर भाषण में सबरीमाला विवाद पर कहा कि मंदिर की परंपरा को समाज ने स्वीकार किया था और वर्षों से चल रही है। मंदिर के मुख्य पुजारी और श्रद्धालुओं की भावना को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लेते हुए संज्ञान नहीं लिया गया।

तनावपूर्ण हालात के लिए संघ जिम्मेदार : विजयन  

केरल सरकार ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर जारी गतिरोध के लिए संघ को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया कि दहशत फैलाकर अयप्पा धर्मस्थल को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। 

मुख्यमंत्री पी.विजयन ने फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा, दहशत पैदाकर श्रद्धालुओं को सबरीमाला मंदिर जाने से रोका जा रहा है और उन्हें लौटने को बाध्य किया जा रहा है। यह मंदिर की परंपरा को नष्ट करने की संघ की कोशिश का हिस्सा है। उन्होंने दावा किया कि दक्षिणपंथी संगठन सदैव सबरीमला मंदिर के अनोखे चरित्र से परेशान रहे हैं जहां जाति, धर्म से ऊपर उठकर श्रद्धालु पूजा अर्चना करते हैं।

भाजपा ने न्यायिक जांच की मांग की 

भाजपा ने मुख्यमंत्री पी.विजयन के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि वामदल की सरकार सबरीमाला मंदिर की छवि को खराब करने की कोशिश कर रही है। वह इस धर्मस्थल में तनाव फैलाने के लिए जिम्मेदार है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पी एस श्रीधरन पिल्लै ने गुरुवार को उस परिस्थिति की न्यायिक जांच की मांग की, जिसकी वजह से आधारशिविर निलाकल में हिंसा हुई और पुलिस ने लाठीचार्ज किया। पिल्लै ने कहा कि पुलिस ने जान बूझकर भड़काऊपूर्ण कार्रवाई की और सबरीमाला रणक्षेत्र में तब्दील हो गया। उन्होंने कहा,  श्रद्धालुओं ने निलाकल में विरोधस्वरुप अपनी प्रार्थना सभा करने के लिए जो अस्थायी शिविर बनाया था, पुलिस ने उसे नष्ट कर दिया। भगवान अयप्पा की फ्रेमवाली तस्वीरें फेंक दी। पुलिस ने तंत्री परिवार एवं पंडलाम महल के वरिष्ठ सदस्यों को गिरफ्तार किया। 

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