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RIP Arun Jaitley: पढ़ें, जेटली के जीवन से जुड़ी 10 अनसुनी बातें

भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को एम्स में निधन हो गया। 66 वर्षीय जेटली लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने दोपहर 12:07 बजे अंतिम सांस ली।  जेटली को सांस...

 RIP Arun Jaitley: पढ़ें, जेटली के जीवन से जुड़ी 10 अनसुनी बातें
नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 25 Aug 2019 10:23 AM
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भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को एम्स में निधन हो गया। 66 वर्षीय जेटली लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने दोपहर 12:07 बजे अंतिम सांस ली।  जेटली को सांस लेने में तकलीफ के बाद नौ अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था।  उनका सॉफ्ट टिश्यू कैंसर का इलाज भी चल रहा था। विशेषज्ञ चिकित्सकों का दल उनका इलाज कर रहा था। वे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।  उनके निधन की खबर सुनते ही अस्पताल के बाहर समर्थक जुटने लगे। जेटली के पार्थिव शरीर को शाम को उनके आवास लाया गया। यहां तमाम राजनीतिक दलों के नेता और अन्य हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कई नेताओं ने उनके निधन पर दुख जताया। भारतीय क्रिकेट टीम भी वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच में काली पट्टी बांधकर खेलने उतरी। 

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जानें, अरुण जेटली के जीवन से जुड़ी 10 बातें 

1- पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने व्यक्तिगत संबंधों से सभी राजनीतिक दलों में अपने मित्र बनाए थे। उन्होंने प्रतिद्वंद्वी दलों के रुख का मुखर विरोध किया, लेकिनअपने सूझबूझ भरे व्यक्तिगत संबंधों से विपक्षी नेताओं के दिलों में अपनी खास जगह भी बनाई थी। ऐसा ही एक वाक्या संसद के हंगामेदार शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन पांच जनवरी, 2018 को हुआ था, जब तीन तलाक विधेयक पर भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष के बीच काफी नोकझोंक हुई थी। लेकिन उसी शाम अरुण जेटली के चैंबर में एक केक लाया गया और यह केक राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा के जन्मदिन के लिए लाया गया था। इससे पता चलता है कि जेटली अपनी राजनीति को व्यक्तिगत संबंधों के साथ आगे बढ़ाते थे। वह विपक्षी दलों के रुख का जोरदार विरोध करते थे लेकिन उन्होंने कभी अपनी इस भावना को नहीं छोड़ा और यहीं कारण है कि उन्होंने सभी राजनीतिक दलों में अपने मित्र बनाए।

2- नोटबंदी पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के उस समय सासंद रहे नरेश अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में कहा था कि उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली को भी इस फैसले के बारे में विश्वास में नहीं लिया। अग्रवाल ने सदन में कहा था, यदि अरुण जी को पता होता तो वह मेरे कान में इस बारे में जरूर बता देते। वह मुझे जानते हैं।

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3- देश में जब आपातकाल लगाया गया तो जेटली भी जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल हो गए। युवा जेटली इस दौरान जेल भी गए और वहीं उनकी मुलाकात उस वक्त के वरिष्ठ नेताओं से हुई। जेल से बाहर आने के बाद वह जनता पार्टी में शामिल हो गए। देश में जब आपातकाल लगाया गया तो जेटली भी जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल हो गए। युवा जेटली इस दौरान जेल भी गए और वहीं उनकी मुलाकात उस वक्त के वरिष्ठ नेताओं से हुई। जेल से बाहर आने के बाद वह जनता पार्टी में शामिल हो गए। 

4-राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए जेटली अभी ही नहीं, पहले से ही संकट मोचक रहे हैं। 2002 में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात दंगों को लेकर राजधर्म की बात कही, तो जेटली खुलकर मोदी के बचाव में आए और उन्हें नैतिक समर्थन दिया। मोदी जब दंगों को लेकर कानूनी पचड़ों में घिरे तो भी एक वकील के रूप में जेटली उनके लिए मददगार साबित हुए। 

5- पिछली सरकार में संसद के भीतर और बाहर जेटली मोदी सरकार पर मंडराये संकटों को टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। नोटबंदी पर जब सरकार घिरी तो इसके फायदों को लेकर सबसे ज्यादा तर्क पूर्ण ढंग से जेटली ने सरकार का बचाव किया। इसी प्रकार राफेल पर संसद के भीतर और बाहर जेटली ने मोर्चा संभाला। उन्होंने समझाया कि किस प्रकार राफेल सौदा देशहित में है और कांग्रेस के आरोप निराधार हैं। आर्थिक भगोड़ों से जुड़े मामले हों, या फिर तीन तलाक जैसे कानून का रास्ता निकालना, सवर्ण आरक्षण से जुड़ा संविधान संशोधन हो या कोई भी अन्य कानून जेटली अपनी सूझबूझ से सरकार को न सिर्फ हल सुझाते थे, बल्कि संसद के भीतर और बाहर सक्रिय होकर उसे मुकाम तक भी पहुंचाते थे। 

6-अरुण जेटली मंत्री बनने पर 2014 में वकालत से हटने के बाद अंतिम बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि मुकदमे में पेश हुए थे। यह मुकदमा दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा था। 10 करोड़ रुपये की दीवानी मानहानि के इस मुकदमे में जेटली क्रास एग्जामिनेशन करवाने के लिए पेश हुए थे। इस मामले में केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी थे और उन्होंने सवाल जवाब की आड़ में जिस तरह से जेटली के साथ वाकयुद्ध किया वह चर्चा का विषय बना। लेकिन यह क्रास एग्जामिनेशन एक तरह से कानून का एक पाठ था जिसे कानून के हर छात्र को पढ़ने के लिए सिफारिश की गई थी। इसमें सवाल करने तथा जवाब देने वाले दोनों ही सिविल कानून के वृहद जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता थे। 

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7-पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली की शख्सियत का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि जिस स्कूल से उनके बच्चों ने पढ़ाई की चाणक्यपुरी स्थित उसी कार्मल कॉन्वेंट स्कूल में उन्होंने अपने ड्राइवर और निजी स्टाफ के बच्चों को भी पढ़ाया। 

8-जेटली अपने बच्चों (रोहन व सोनाली) को जेब खर्च भी चेक से देते थे। इतना ही नहीं, स्टाफ को वेतन और मदद सबकुछ चेक से ही देते थे। उन्होंने वकालत की प्रैक्टिस के समय ही मदद के लिए वेलफेयर फंड बना लिया था। इस खर्च का प्रबंधन एक ट्रस्ट के जरिए करते थे। जिन कर्मचारियों के बच्चे अच्छे अंक लाते हैं, उन्हें जेटली की पत्नी संगीता भी गिफ्ट देकर प्रोत्साहित करती हैं।

9-जेटली परिवार के खान-पान की पूरी व्यवस्था देखने वाले जोगेंद्र की दो बेटियों में से एक लंदन में पढ़ रही हैं। जेटली के साथ हरदम रहने वाले सहयोगी गोपाल भंडारी का एक बेटा डॉक्टर और दूसरा इंजीनियर बन चुका है। इसके अलावा समूचे स्टाफ में सबसे अहम चेहरा थे सुरेंद्र। वे कोर्ट में जेटली के प्रैक्टिस के समय से उनके साथ थे। घर के ऑफिस से लेकर बाकी सारे काम की निगरानी इन्हीं के जिम्मे थी। जिन कर्मचारियों के बच्चे एमबीए या कोई अन्य प्रोफेशनल कोर्स करना चाहते थे, उसमें जेटली फीस से लेकर नौकरी तक का मुकम्मल प्रबंध करते थे। जेटली ने 2005 में अपने सहायक रहे ओपी शर्मा के बेटे चेतन को लॉ की पढ़ाई के दौरान अपनी 6666 नंबर की एसेंट कार गिफ्ट दी थी।

10- अरुण जेटली की यह बात आज भी कार्यकर्ताओं को याद है। वह 2017 के चुनाव में लखनऊ आए थे। उनके साथ तत्कालीन मेयर व उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा भी थे। उनके वापस जाने की फ्लाइट का समय हो गया था। इस बीच दिनेश शर्मा ने उनसे सरोजनी नगर विधानसभा की प्रत्याशी स्वाति सिंह के क्षेत्र में जनसभा का अनुरोध किया। डॉ दिनेश शर्मा ने जेटली से कहा कि स्वाति सिंह नई उम्मीदवार हैं। पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। आप के प्रचार से माहौल बदलेगा। डॉ. दिनेश शर्मा कहते हैं कि जेटली ने यह बात सुनने के बाद पीए से कहा कि टिकट रद्द करा दो। डॉ. दिनेश शर्मा के साथ वह स्वाति सिंह के प्रमुख चुनाव कार्यालय के पास जनसभा करने पहुंचे। यहां उन्होंने कार्यकर्ताओं में काफी जोश भरा। स्वाति ने तब चुनाव जीता था और इस समय स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री हैं।

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