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विधानसभा और स्थानीय निकायों में घटा महिलाओं का प्रतिनिधित्व, लोकसभा में बढ़ी है हिस्सेदारी

राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने की बातें बढ़-चढ़ कर की जाती हैं लेकिन सच्चाई यह है कि विधानसभाओं और पंचायती राज संस्थानों में उनकी हिस्सेदारी बढ़ने की बजाय घट रही है।

विधानसभा और स्थानीय निकायों में घटा महिलाओं का प्रतिनिधित्व, लोकसभा में बढ़ी है हिस्सेदारी
Himanshu Jhaमदन जैड़ा, हिन्दुस्तान,नई दिल्ली।Sun, 03 Jul 2022 06:50 AM

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राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने की बातें बढ़-चढ़ कर की जाती हैं लेकिन सच्चाई यह है कि विधानसभाओं और पंचायती राज संस्थानों में उनकी हिस्सेदारी बढ़ने की बजाय घट रही है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से सतत विकास के लक्ष्यों की प्रगति को लेकर हाल में जारी एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

सतत विकास के लक्ष्यों में से एक लक्ष्य महिलाओं के सशक्तीकरण, समाज में बराबरी और नीति निर्माण में उनकी हिस्सेदारी से भी जुड़ा है। इसी क्रम में महिलाओं की मौजूदा स्थिति का आकलन किया गया है। रिपोर्ट कहती है कि पंचायती राज संस्थानों में वर्ष 2014 में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 46.14 फीसदी था, जो वर्ष 2019 में घटकर 44.37 फीसदी रह गया। वहीं, शहरी निकायों में 2019 में महिलाओं की हिस्सेदारी 43.16 फीसदी पाई गई। हालांकि, इसका 2014 का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।

रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में विधानसभाओं की 11 फीसदी सीटों पर महिलाएं काबिज थीं। वर्ष 2020 में भी यह स्थिति कायम रही। लेकिन 2021 में यह हिस्सेदारी घटकर नौ फीसदी रह गई। लोकसभा में हालांकि, महिला सांसदों की हिस्सेदारी बढ़ी है। 2014 में जहां उनके पास 11.42 फीसदी सीटें थी वहीं 2019 में यह 14.36 तक पहुंच गई।

चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या कम
रोचक बात यह है कि चुनाव मैदान में उतरने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों की अपेक्षा बहुत कम है। 2014 में जहां कुल उम्मीदवारों में महिलाएं 8.19 फीसदी थी, वहीं 2019 में इसमें मामूली बढ़ोतरी हुई और आंकड़ा नौ फीसदी तक ही पहुंचा। इस हिसाब से से देखा जाए तो महिलाओं की जीतने की दर काफी अच्छी है।

33 फीसदी आरक्षण संबंधी विधेयक लंबित
बता दें कि संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक संसद में लंबित है। सभी दल इस पर सहमति व्यक्त करते हैं लेकिन इसे पारित नहीं करते हैं। जबकि पंचायत राज संस्थानों में 73वें संविधान संशोधन विधेयक के जरिए 1992 में ही कम से कम 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। लेकिन 20 राज्यों ने इसे बढ़ाकर 50 फीसदी तक कर दिया है।

प्रबंधकीय पदों पर 19% महिलाएं
रिपोर्ट में आंकड़े चुनाव आयोग और पंचायती राज मंत्रालय से लिए गए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नौकरियों में प्रबंधकीय पदों पर अब भी महिलाओं की हिस्सेदारी महज 18-19 फीसदी के बीच है।

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