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सिर्फ धर्म के आधार पर नहीं तय होता अभिभावक, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

बच्चा यदि दो धर्म के माता-पिता से पैदा हुआ है तो उसका असली अभिभावक तय करने के लिए जिन प्रमुख बातों को आधार में माना जाता है उनमें से एक धर्म में भी है। लेकिन सिर्फ धर्म के आधार पर ही बच्चे का अभिभावक...

सिर्फ धर्म के आधार पर नहीं तय होता अभिभावक, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीTue, 30 Jan 2018 09:54 PM
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बच्चा यदि दो धर्म के माता-पिता से पैदा हुआ है तो उसका असली अभिभावक तय करने के लिए जिन प्रमुख बातों को आधार में माना जाता है उनमें से एक धर्म में भी है। लेकिन सिर्फ धर्म के आधार पर ही बच्चे का अभिभावक तय नहीं किया जा सकता। यह टिप्पणी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने की।

अपनी हिन्दू पत्नी की हत्या के जुर्म में मौत की सजा पा चुके एक शख्स बेटे की कस्टडी के अधिकार के केस की सुनवाई करते हुए अदालत ने बच्चे की दादी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें दावा किया गया था की बच्चे पर उनका अधिकार है क्योंकि बच्चा उनके बेटे से पैदा हुआ था और उनकी बहू एक हिन्दू थीं जो कि बाद में इस्लाम धर्म को अपना लिया था।

इस पर न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ ने बच्चे की दादी की याचिका खारिज कर दिया और बच्चे की नानी को मिले कस्टडी अधिकार में बदलाव करने से इनकार कर दिया। इस मामले पर मुंबई हाईकोर्ट पहले ऐसा ही फैसला दे चुकी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा।

यह मामला जब बाम्बे हाईकोर्ट में था तब अदालत ने कहा बच्चे की कस्टडी का आधिकार उसकी नानी को दिया था। इसके लिए बच्चे की दादी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। बच्चे की नानी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हाजिर होने वाले वकील लिज मैथ्यू ने हिन्दुस्तान टाइम्स से बताया कि मामले पर में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के विचार को ही आगे बढ़ाया और दादी की याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बच्चे की उचित देखरेख उसकी नानी ही कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि धर्म के अलावा कानून में कई ऐसे पहलू भी हैं जिन पर अदालत कस्टडी के अधिकार के लिए विचार करती है। 

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