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जनता को मिलेगी राहत, जल्द कम हो सकती है पेट्रोल-डीजल की कीमत

कच्चे तेल की कीमत गिरने से पेट्रोल-डीजल की कीमत में जल्द कमी के आसार दिखने लगे हैं। ओपेक संगठन-रूस के बाद अमेरिकी आपूर्ति बढ़ने से गिरावट और तेज होने की उम्मीद है। कच्चे तेल की...

जनता को मिलेगी राहत, जल्द कम हो सकती है पेट्रोल-डीजल की कीमत
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीMon, 28 May 2018 08:24 PM
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कच्चे तेल की कीमत गिरने से पेट्रोल-डीजल की कीमत में जल्द कमी के आसार दिखने लगे हैं। ओपेक संगठन-रूस के बाद अमेरिकी आपूर्ति बढ़ने से गिरावट और तेज होने की उम्मीद है। कच्चे तेल की कीमत में 5.5 फीसदी की गिरावट आई है। इस गिरावट के साथ कच्चा तेल 75 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर पहुंच गया है।

दीर्घकालीन हल तलाशने को रणनीति पर काम जारी: धर्मेंद्र प्रधान

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हम मामले को लेकर संवेदनशील हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी, डॉलर और रुपये के अनुपात में उतार-चढ़ाव के साथ कुछ कर मुद्दे भी तेल की कीमतों से जुड़े हैं। सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने के कारण पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि का दीर्घकालीन हल तलाशने को लेकर एक समग्र रणनीति अपनाने की योजना बना रही है। 

जल्द मिल सकती है बढ़ते दाम से राहत

कच्चा तेल सोमवार को गिरावट के साथ 75 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। इससे 15 दिनों तक लगातार बढ़ोतरी के बाद अगले एक-दो दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम में गिरावट का दौर शुरू हो सकता था।  पेट्रोल-डीजल की कीमतों को जब 24 अप्रैल को थामा गया था, तब कच्चा तेल 74.05 डॉलर था। ऐसे में सरकार के हस्तक्षेप के बिना ही अगले कुछ दिनों में पेट्रोलियम कंपनियां दाम घटाना शुरू कर सकती हैं।

सऊदी अरब की अगुआई वाले ओपेक के सदस्य देशों और रूस के बाद अमेरिका ने भी तेल की आपूर्ति बढ़ाने का फैसला किया है। अमेरिका ने जून में रिकॉर्ड 23 लाख बैरल प्रति दिन निर्यात का ऐलान किया है, इसमें 13 लाख बैरल की आपूर्ति भारत-चीन जैसे बड़े एशियाई देशों को होनी है।

विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी कदम के बाद बाजार बचाने के लिए ओपेक और रूस को भी आपूर्ति और बढ़ाने की जरूरत होगी। दोनों पहले ही 10 लाख बैरल रोजाना आपूर्ति बढ़ाने का फैसला कर चुके हैं। 2016 में कच्चा तेल 30 डॉलर तक आने के बाद 2017 में ओपेक और रूस ने उत्पादन में कटौती कर दाम को दोबारा 80 डॉलर तक ले जाने की रणनीति अपनाई थी।

भारत-चीन की दबाव की रणनीति काम कर रही 

भारत के अलावा चीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान, थाईलैंड ने भी अमेरिका से तेल आपूर्ति के कई सौदे किए हैं, जिससे खाड़ी देशों में हलचल है। दक्षिणपूर्व एशिया के कई देशों ने भी कहा है कि अगर सबसे बड़ी तेल कंपनी सऊदी अरामको कीमतें नीचे नहीं लाती है तो वे नए अमेरिकी तेल खरीदेंगे। चीन जून में 16 लाख बैरल तेल अमेरिका से खरीदेगा। एशियाई देशों को तेल की ऊंची कीमतों का असर विकास दर और महंगाई पर पड़ने की आशंका है। इंडियन ऑयल ने 30 लाख बैरल और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 80 लाख बैरल का सौदा अमेरिकी कंपनियों से किया है। 

सरकार कई उपायों पर कर रही विचार

केंद्र उत्पाद शुल्क में कटौती के अलावा कच्चे तेल का दाम 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने के बाद पेट्रोलियम कंपनी पर सेस लगाने पर विचार कर रही है। हालांकि अगर कच्चे तेल में गिरावट जारी रहती है, तो सरकार पर तुरंत कदम उठाने का दबाव कम होगा। 

15वें दिन भी ईंधन में बढ़ोतरी

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में सोमवार को लगातार 15वें दिन बढ़ोतरी हुई। दिल्ली में डीजल और पेट्रोल की कीमत क्रमश: 69.17 और 78.27 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गई। तेल कंपनियों ने 24 अप्रैल से 13 मई तक पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाए थे। पेट्रोल दिल्ली में 3.64 रुपये लीटर और डीजल में 3.24 रुपये लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है। 

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