ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशजेसिका लाल और प्रियदर्शनी मट्टू के हत्यारों की रिहाई के रास्ते बंद, अब कोर्ट ही दे सकती है राहत

जेसिका लाल और प्रियदर्शनी मट्टू के हत्यारों की रिहाई के रास्ते बंद, अब कोर्ट ही दे सकती है राहत

चर्चित मॉडल जेसिका लाल और कानून की छात्रा प्रियदर्शनी मट्टू की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा व संतोष सिंह को अब हाईकोर्ट से ही रिहाई की उम्मीद है। मनु...

जेसिका लाल और प्रियदर्शनी मट्टू के हत्यारों की रिहाई के रास्ते बंद, अब कोर्ट ही दे सकती है राहत
प्रमुख संवाददाता,नई दिल्लीSat, 20 Jul 2019 04:55 AM
ऐप पर पढ़ें

चर्चित मॉडल जेसिका लाल और कानून की छात्रा प्रियदर्शनी मट्टू की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा व संतोष सिंह को अब हाईकोर्ट से ही रिहाई की उम्मीद है।

मनु शर्मा और संतोष सिंह की तरह ही सजा समीक्षा बोर्ड ने नैना साहनी की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे सुशील शर्मा को रिहा करने से इनकार कर दिया था। लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने 21 दिसंबर, 2018 को बोर्ड के निर्णय को रद्द करते हुए सुशील शर्मा को तिहाड़ जेल से रिहा करने के आदेश दिए थे। इसके बाद उम्रकैद की सजा काट रहे मनु शर्मा व अन्य कैदियों को भी समय से पहले सजा माफी और रिहा होने की उम्मीद जगी थी।

सरकार द्वारा रिहाई की मांग ठुकराए जाने के बाद जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा के वकील ने अमित साहनी ने कहा कि अभी हमें सजा समीक्षा बोर्ड के फैसले की प्रति नहीं मिली है। जैसे की फैसले की प्रति मिलती है, हम इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। साहनी ने कहा कि हाईकोर्ट ने सजा समीक्षा बोर्ड को सुशील शर्मा के मामले में फैसले और जेल में मनु शर्मा के व्यवहार को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने को कहा था, लेकिन बोर्ड ने ऐसा नहीं किया।

1. जेसिका लाल हत्याकांड : वर्ष 1999 में बहुचर्चित मॉडल जेसिका लाल की दक्षिणी दिल्ली के रेस्टोरेंट में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मामले में निचली अदालत ने मनु व अन्य को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। बाद हाईकोर्ट ने मनु शर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी वर्ष 2011 में शर्मा को हाईकोर्ट से मिली उम्रकैद को बहाल रखा था।

2. प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड : 25 वर्षीय प्रियदर्शिनी मट्टू की जनवरी 1996 में दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। डीयू में कानून के छात्र संतोष सिंह को मामले में 3 दिसंबर 1999 को निचली अदालत ने बरी कर दिया था, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 अक्टूबर 2006 को संतोष को मृत्युदंड दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें