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रसगुल्ले और काजू कतली के बीच 'मीठी' जंग, जानें किस मामले में लगी है आगे निकलने की होड़

भारतीय मिठाइयों के करीब 8,000 करोड़ रुपये के निर्यात के बाजार में रसगुल्ले के पुराने रसूख को काजू कतली से कड़ी चुनौती मिल रही है। जानकारों के मुताबिक, उन देशों में काजू कतली की मांग तेजी से बढ़ रही...

रसगुल्ले और काजू कतली के बीच 'मीठी' जंग, जानें किस मामले में लगी है आगे निकलने की होड़
इंदौर, एजेंसी Sun, 06 Jan 2019 03:31 PM
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भारतीय मिठाइयों के करीब 8,000 करोड़ रुपये के निर्यात के बाजार में रसगुल्ले के पुराने रसूख को काजू कतली से कड़ी चुनौती मिल रही है। जानकारों के मुताबिक, उन देशों में काजू कतली की मांग तेजी से बढ़ रही है, जहां बड़ी तादाद में भारतवंशी बसे हैं। फेडरेशन ऑफ स्वीट्स एंड नमकीन मैन्युफैक्चरर्स के निदेशक फिरोज एच. नकवी ने रविवार को कह कि "मोटे अनुमान के मुताबिक, फिलहाल हर साल भारत से करीब 8,000 करोड़ रुपये मूल्य की मिठाइयों का निर्यात होता है। इस बाजार में 15 से 20 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ रसगुल्ले का है।" 

नकवी के मुताबिक, भारतीय मिठाइयों के निर्यात के बाजार में काजू कतली की मौजूदा भागीदारी हालांकि केवल पांच प्रतिशत के आस-पास है। लेकिन इस मिठाई की मांग खासकर उन मुल्कों में दिनों-दिन रफ्तार पकड़ रही है जहां भारतीय मूल के लोग बड़ी तादाद में रहते हैं। उन्होंने कहा, "अगर विदेशों में काजू कतली की अच्छी तरह ब्रांडिंग की जाये, तो आने वाले सालों में इसकी मांग रसगुल्ले को भी पीछे छोड़ सकती है।" नकवी ने बताया कि एशिया और खाड़ी देशों के साथ अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका में भी भारतीय मिठाइयों की खासी मांग है। 

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उन्होंने बताया, "ब्रिटेन में तो भारतीय मिठाइयों की इतनी मांग है कि एक बड़ी मिठाई कम्पनी ने वहां अपनी उत्पादन इकाई लगा दी है।" नकवी ने बताया कि भारत से निर्यात की जाने वाली अन्य प्रमुख मिठाइयों में गुलाब जामुन और सोन पापड़ी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अगर दोनों तरफ से सरकारी नीतियों को थोड़ा लचीला बनाया जाये, तो रूस, चीन और जापान को भारतीय मिठाइयों का बड़े पैमाने पर निर्यात किया जा सकता है। नकवी ने यह मांग भी की कि सरकार को पैकेजिंग और परिरक्षण की आधुनिक तकनीक विकसित करने में घरेलू मिठाई उद्योग की मदद करनी चाहिये। उन्होंने कहा, "अधिकांश मिठाइयों के जल्दी खराब हो जाने के चलते इनके निर्यात को लेकर अभी कई सीमाएं हैं। पैकेजिंग और परिरक्षण की बेहतर तकनीक से ये सीमाएं लांघी जा सकती हैं जिससे मिठाइयों के निर्यात में बड़ा इजाफा हो सकता है।" 


 

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