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राम मंदिर निर्माण में किसी तरह की कड़वाहट पैदा नहीं होनी चाहिए, मोदी ने ट्रस्ट के सदस्यों से कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवगठित श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों से कहा कि मंदिर का निर्माण शांति एवं सौहार्द के माहौल में होना चाहिए। किसी भी तरह की कड़वाहट पैदा नहीं होनी चाहिए।...

राम मंदिर निर्माण में किसी तरह की कड़वाहट पैदा नहीं होनी चाहिए, मोदी ने ट्रस्ट के सदस्यों से कहा
एजेंसी,नई दिल्लीSat, 22 Feb 2020 01:55 AM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवगठित श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों से कहा कि मंदिर का निर्माण शांति एवं सौहार्द के माहौल में होना चाहिए। किसी भी तरह की कड़वाहट पैदा नहीं होनी चाहिए। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने शुक्रवार (21 फरवरी) को यह जानकारी दी।

महंत नृत्य गोपाल दास की अगुवाई में ट्रस्ट के चार सदस्यों ने गुरुवार (20 फरवरी) को प्रधानमंत्री से उनके आवास पर मुलाकात की थी और उन्हें भूमि पूजन के लिए अयोध्या आने का निमंत्रण दिया था। हालांकि, भूमि पूजन की तिथि अभी तय नहीं हुई है। चंपत राय ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया और कहा कि प्रधानमंत्री ने उनसे कहा है कि ऐसा कुछ भी नहीं हो, जिससे देश का माहौल खराब हो। 

इससे पहले, विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि रामनवमी के मौके पर 25 मार्च से आठ अप्रैल तक 'रामोत्सव' मनाया जाएगा। इस दौरान विहिप कार्यकर्ता देशभर के 2.75 लाख गांवों में पहुंचेंगे।

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'मंदिर निर्माण से पर्यटन उद्योग चमकेगा'
केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री प्रह्लाद पटेल ने शुक्रवार (21 फरवरी) को कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण से इसे देखने के लिए बड़ी तादाद में देशी-विदेशी पर्यटक आएंगे, जिससे देश में पर्यटन उद्योग को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि इससे वर्ष 2024 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने में पर्यटन उद्योग अहम भूमिका निभाएगा।

राम मंदिर निर्माण से पर्यटन उद्योग को क्या फायदा होगा, यह पूछे जाने पर पटेल ने कहा, यूपी एवं केन्द्र की सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि विदेशी और घरेलू पर्यटक छोटे से छोटे स्मारकों तक पहुंचें, इसके लिए गांव और कस्बों के 12वीं पास युवक भी एक ऑनलाइन कोर्स करके गाइड बन सकेंगे।

उन्होंने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के तहत वर्तमान में करीब 2,691 स्मारक हैं, जो बढ़कर 10,000 तक हो सकते हैं। इनके अलावा, राज्यों के पुरातत्व विभाग के अलग स्मारक हैं। ऐसे कई स्मारक हैं, जहां एक लाख से ज्यादा विदेशी पर्यटक आते हैं, वहां पर कई विदेशी भाषाओं के साइन बोर्ड लगाने की कोशिश हो रही है। साथ ही तकनीक का उपयोग कर पर्यटकों को उनकी भाषा में स्मारक की जानकारी मिल सके, इसके भी प्रयास हो रहे हैं। पटेल ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय से 60 ऐसे छात्र चीनी भाषा में पारंगत हुए हैं और ऐसी ही कई भाषाओं के प्रशिक्षित लोगों की जरूरत है।

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