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शीना बोरा केस: राकेश मारिया का दावा, आरोपियों को जानते थे पुलिस अधिकारी

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश मारिया ने दावा किया है कि उनके बाद इस पद पर रहने वाले अहमद जावेद, शीना बोरा हत्या मामले में आरोपी इंद्राणी और पीटर मुखर्जी को सामाजिक रूप से जानते थे और पीटर...

शीना बोरा केस: राकेश मारिया का दावा, आरोपियों को जानते थे पुलिस अधिकारी
मुंबई, एजेंसीTue, 18 Feb 2020 04:21 PM
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मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश मारिया ने दावा किया है कि उनके बाद इस पद पर रहने वाले अहमद जावेद, शीना बोरा हत्या मामले में आरोपी इंद्राणी और पीटर मुखर्जी को सामाजिक रूप से जानते थे और पीटर तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) देवेन भारती को भी भलीभांति जानते थे।

मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों जैसे हाईप्रोफाइल मामले की जांच करने वाले और 26 नवम्बर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले की जांच का नेतृत्व करने वाले मारिया ने सोमवार को जारी अपनी किताब 'लेट मी से इट नाउ' में यह खुलासा किया है।

भारती इस समय महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के प्रमुख हैं। भारती ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह पुस्तक के लिए प्रचार की रणनीति प्रतीत होती है। पीटर मुखर्जी को शीना बोरा हत्या मामले में 19 नवम्बर 2015 को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में उनकी पूर्व पत्नी इंद्राणी मुखर्जी मुख्य आरोपी है।

इंद्राणी मुखर्जी की बेटी शीना बोरा (24) की हत्या का मामला 2015 में उस समय प्रकाश में आया था जब मुखर्जी के चालक श्यामवर राय को एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था। राय ने शीना के शव को ठिकाने लगाने में मदद की थी। बाद में इस मामले में राय सरकारी गवाह बन गया था।

मारिया ने पुस्तक में लिखा है कि जावेद भी मुखर्जी को सामाजिक रूप से जानते थे और उन्हें बाद में ईद की पार्टी में आमंत्रित किया गया था। किताब के अनुसार हत्या मामले की जांच के दौरान पीटर मुखर्जी ने मारिया को बताया था कि वह शीना बोरा के लापता होने की शिकायत को लेकर 2012 में देवेन भारती के पास गए थे।

किताब के अनुसार जब शीना के अचानक गायब होने के बारे में पता चलने पर मारिया ने पीटर मुखर्जी से कुछ नहीं करने के बारे में पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया, सर, मैंने देवेन को बताया था। मुखर्जी से पूछताछ के बारे में याद करते हुए मारिया ने कहा, 'उस रात मैं एक झपकी भी नहीं ले सका था। मेरे दिमाग में यही चलता रहा कि पीटर ने मुझे शाम को जो बताया था, उसका सही मतलब पता लगाना है।'

उन्होंने किताब में कहा, 'इसका मतलब था कि पीटर मुखर्जी, देवेन भारती को अच्छी तरह से जानते थे और पहला नाम लेकर बात कर रहे थे और मैं इन दिनों यह सब नहीं जानता था। इसके अलावा, देवेन भारती ने मुझे एक बार भी यह बताना उचित नहीं समझा कि मुखर्जी उनके करीबी हैं।' मारिया ने दावा किया कि जब भी वह भारती से गुमशुदगी की शिकायत दर्ज न करने के रहस्य या दुर्घटनावश मौत की रिपोर्ट पर चर्चा करते तो वह चुप रहते थे।

मारिया ने किताब में लिखा है कि जावेद भी मुखर्जी को सामाजिक रूप से जानते थे। उन्होंने लिखा, जानबूझकर गलत ढंग से जांच को बदनाम करने का प्रयास किया गया कि मैं मुखर्जी को सामाजिक रूप से जानता था। मैंने स्पष्ट रूप से इसका खंडन किया था, लेकिन संदेह का माहौल बना रहा। बाद में मरिया को महानिदेशक (होमगार्ड) नियुक्त किया गया और जावेद ने मुंबई पुलिस के प्रमुख का पद्भार संभाल लिया।

मारिया ने लिखा, 'मुझे हटाए जाने के एक सप्ताह बाद यह पता चला कि पिछले सीपी नहीं बल्कि नए सीपी (जावेद) मुखर्जी को सामाजिक रूप से जानते थे और उन्होंने अपनी ईद की पार्टी में उन्हें आमंत्रित किया था।'

मारिया के दावे को खारिज करते हुए भारती ने कहा कि मारिया बॉलीवुड से जुड़े एक परिवार से ताल्लुक रखते हैं और ऐसा लगता है कि पटकथा लेखकों का उन पर काफी प्रभाव है। इसके अलावा, पुस्तक के लिए यह एक विपणन रणनीति प्रतीत होती है। भारती ने कहा कि इसके अलावा, एक पुलिसकर्मी को, काल्पनिक कथा के बजाय आरोप पत्र और केस डायरी पढ़ने की सलाह दी जाती है।

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