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राजदरबार: आपस में भिड़े दो आईएएस अधिकारी 

ऐसे समय में जबकि पूरी की पूरी ब्यूरोक्रेसी नई सरकार के लिए कार्ययोजना बनाने में व्यस्त है, एक मंत्रालय ऐसा भी है जिसमें एक ही बैच के दो सबसे सीनियर आईएएस अधिकारी आपस में उलझे हुए हैं। दरअसल, एक...

राजदरबार: आपस में भिड़े दो आईएएस अधिकारी 
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्ली Sun, 26 May 2019 08:59 AM
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ऐसे समय में जबकि पूरी की पूरी ब्यूरोक्रेसी नई सरकार के लिए कार्ययोजना बनाने में व्यस्त है, एक मंत्रालय ऐसा भी है जिसमें एक ही बैच के दो सबसे सीनियर आईएएस अधिकारी आपस में उलझे हुए हैं। दरअसल, एक अधिकारी विभाग में सचिव के पद पर कार्यरत हैं और उनका मानना है कि दूसरे अधिकारी का पद उनके मातहत आता है। जबकि विदेशों में लंबे समय तक सेवा देकर लौटे दूसरे बैचमेट का मानना है कि उनका काम स्वतंत्र है और वे सीधे मंत्री एवं प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। बताते हैं कि दोनों पक्षों से एक दूसरे की इतनी शिकायतें मंत्री तक पहुंच चुकी हैं कि वे भी हैरान हैं कि दो वरिष्ठतम अधिकारी आपस में इस तरह कैसे उलझ सकते हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि नए मंत्री कौन आते हैं और किसका पलड़ा भारी पड़ता है।

चेहरा कहां से लाएं 
लोकसभा चुनाव में जो हुआ सो हुआ। इसके बाद हरियाणा में चुनाव हैं। कांग्रेस की मुसीबत यह है कि कोई ऐसा चेहरा नहीं मिल रहा जिस पर दांव लगा सके। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अभी चुनाव हारे हैं। प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर भी चुनाव हारे है। एक उभरते नेता रणदीप सुरजेवाला हैं लेकिन वे भी पिछले दिनों उप चुनाव हार चुके हैं। कांग्रेस की मुश्किल यह है कि भाजपा की कड़ी चुनौती के बीच हारे नेताओं पर कैसे दांव लगाए। इसलिए अभी से चर्चा है कि इस बार किसी नए चेहरे को आगे करेगी।

जीते और पैसा भी bach gaya    
मोदी हवा में जीतकर आये भाजपा सांसदों की बल्ले-बल्ले है। कई सांसद ऐसे हैं जिनकी रिपोर्ट अच्छी नहीं थी, लेकिन दूसरे समीकरणों को ध्यान में रखकर उन्हें टिकट दे दिया गया। साथ में जीत के लिए दम भी न लगाना पड़े इससे बेहतर क्या हो सकता था। जीतकर आए एक सांसद ने ऐसा ही अपना अनुभव सुनाते हुए कहा कि हमने तो टिकट मिलने के बाद इलाके में सर्वे कराया। क्षेत्र में लोग मोदी-मोदी कर रहे थे। मुझे हवा का रुख समझ आ गया था क्या होने वाला है। लिहाजा हमने चुनाव का बजट आधा कर दिया। हमने समझ लिया कि व्यर्थ पैसा बहाने से कोई फायदा नहीं। जीत तो मोदी जी के नाम पर होनी ही है। इसे कहते हैं प्लानिंग।

मंत्री पद की आस 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को देखते हुए नई सरकार में लगभग पचास फीसद नए चेहरे होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इससे पहली बार सांसद बने कई नेताओं को अपना नंबर आने की आस है। मंत्री बनने की दौड़ में राज्यसभा के सांसद भी पीछे नहीं हैं। पार्टी संगठन में काम कर रहे सांसद भी अपनी मेहनत का फल मिलने की उम्मीद लगाए हैं। पार्टी के एक प्रमुख सांसद ने कहा भी है जब पूर्ण बहुमत की सरकार बन रही है तो उम्मीद करनी ही चाहिए और कोशिश भी करनी चाहिए। हालांकि, बिहार के भाजपा नेता कुछ डरे हैं। इस बार जदयू सरकार में शामिल होने से कम से कम दो मंत्री तो उसके ही होंगे। ऐसे में भाजपा का कोटा कम होगा।

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