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कांग्रेस में विलय करने वाले 6 बीएसपी विधायकों को नोटिस भेजने का राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कांग्रेस के साथ साल 2019 मे विलय करने वाले बहुजन समाज पार्टी के छह विधायकों पर फौरन रोक लगाने की याचिका पर एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ एक बीजेपी विधायक और बहुजन...

कांग्रेस में विलय करने वाले 6 बीएसपी विधायकों को नोटिस भेजने का राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्ली।Thu, 06 Aug 2020 05:49 PM
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राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कांग्रेस के साथ साल 2019 मे विलय करने वाले बहुजन समाज पार्टी के छह विधायकों पर फौरन रोक लगाने की याचिका पर एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ एक बीजेपी विधायक और बहुजन समाज पार्टी द्वारा दायर अपीलों का गुरुवार को निपटारा कर दिया। 

इससे पहले, स्पीकर की तरफ से छह बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय के फैसले के खिलाफ बीएसपी और बीजेपी के विधायक मदन दिलावर ने राजस्थान हाईकोर्ट का रुख किया था। हाइकोर्ट की एकल पीठ ने स्पीकर सीपी जोशी और कांग्रेस में विलय होने वाले उन छह बीएसपी विधायकों को 11 अगस्त तक जवाब देने को कहा था।

स्पीकर सीपी जोशी के वकील प्रतीक कसलीवाल ने कहा कि याचिकाकर्ता मदन दिलावर और बीएसपी की तरफ से दायर विशेष अपील विचार योग्य नहीं है। कसलीवाल ने कहा, हाईकोर्ट बीएसपी और बीजेपी विधायक मदन दिलावर की तरफ से की गई अपील का निपटारा किया। कोर्ट ने जिला न्यायाधीश से कहा कि बीएसपी विधायकों को नोटिस जारी करें। इसके साथ ही अगर जरूरत पड़े तो जैसलमेर के एसपी का नोटिस देने में सहारा लें। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि स्थानीय अखबार में नोटिस दें और साथ ही एकल पीठ को निर्देश से कहा कि उन्हें पहले दाखिल याचिकाओं पर 11 अगस्त तक फैसला देना चाहिए।

बीजेपी विधायक मदन दिलावर और बसपा के राष्ट्रीय सचिव सतीश मिश्रा ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील करते हुए मंगलवार को खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया था। दोनों पक्षों ने इससे पहले विधानसभाध्यक्ष सीपी जोशी के सितंबर 2019 के फैसले को चुनौती देते हुए रिट याचिकाएं दायर की थीं जिसमें बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में विलय करने की अनुमति दी गई थी।

न्यायमूर्ति महेंद्र कुमार गोयल की एकल पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष और सचिव और छह विधायकों को 30 जुलाई को नोटिस जारी किया था तथा उन्हें 11 अगस्त को जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। हालांकि पीठ ने कोई अंतरिम राहत प्रदान नहीं की थी और बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस विधायकों के रूप में सदन की कार्यवाही में भाग लेने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने अपील पर बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी किया था। लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया। उनके वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में दलील दी कि खंड पीठ में अपील विचार करने योग्य नहीं है।

सिब्बल ने यह भी कहा कि किसी भी विधायक को नोटिस दिए जाने के लिए विधानसभाध्यक्ष कार्यालय का इस्तेमाल डाकघर के रूप में नहीं किया जा सकता है। इस पर पीठ ने जैसलमेर के जिला न्यायाधीश के माध्यम से नोटिस भेजने और उन्हें जैसलमेर और बाड़मेर के दो समाचार पत्रों में प्रकाशित करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि एकल पीठ 11 अगस्त को भाजपा और बसपा की अपील पर सुनवाई करेगी।

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