रेलवे अफसर को सीबीआई ने घूस लेते गिरफ्तार किया
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने लखनऊ में तैनात रेलवे के अफसर अबोध अग्रवाल को घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। वह मानकनगर स्थित रेलवे के रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशंस (आरडीएसओ) के...
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने लखनऊ में तैनात रेलवे के अफसर अबोध अग्रवाल को घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। वह मानकनगर स्थित रेलवे के रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशंस (आरडीएसओ) के कार्यालय अनुसंधान भवन में चीफ विजिलेंस इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने उनके विरुद्ध पीसी एक्ट की धारा 7 के तहत नियमित मुकदमा दर्ज किया। सीबीआई के इंस्पेक्टर सुरेन्द्र सिंह बिष्ट के स्तर से शिकायती पत्र की गोपनीय जांच में मामला सही पाए जाने पर यह मुकदमा दर्ज किया गया। अब मुकदमे की जांच इंस्पेक्टर अजीत सिंह को सौंपी गई है। सीबीआई को आरडीएसओ मानकनगर के ही प्रशासन, वित्त और लेखा निदेशालय में तैनात सीनियर सेक्शन अफसर रवींद्र दुबे से शिकायती पत्र प्राप्त हुआ था।
कनिष्ठ के माध्यम से मांगे एक लाख रुपये :
शिकायती पत्र में रवींद्र दुबे ने कहा था कि विभाग में प्रोन्नतियों के एक मामले को लेकर चीफ विजिलेंस इंस्पेक्टर अबोध अग्रवाल ने उन्हें बुलाकर धमकाया और बाद में प्रकरण में अनुकूल रिपोर्ट लगाने के लिए एक लाख रुपये घूस की मांग की। उनके अनुसार आरडीएसओ के वित्त एवं लेखा निदेशालय में कर्मचारियों की प्रोन्नतियों में धांधली की एक फर्जी शिकायत की गई थी। आरडीएसओ के प्रमुख वित्त सलाहकार ने रेलवे बोर्ड और आरडीएसओ के महानिदेशक को पत्र भेजकर इस शिकायत को फर्जी करार दिया था।
इसी फर्जी शिकायत के आधार पर चीफ विजिलेंस इंस्पेक्टर अबोध अग्रवाल ने एक मई को सीनियर सेक्शन आफिसर कामिनी मिश्रा की व्यक्तिगत फाइल के साथ उन्हें अपने आफिस में बुलाया। कामिनी मिश्रा का नाम उन लोगों में शामिल है, जिनकी प्रोन्नति हुई है। अबोध अग्रवाल ने कामिनी मिश्रा की प्रोन्नति को गलत ठहराते हुए उन्हें धमकाया और कहा कि वह आसान रिटायरमेंट नहीं होने देंगे। शिकायतकर्ता रवीन्द्र दुबे का कहना है कि उनके एक कनिष्ठ अब्दुल लतीफ की अबोध अग्रवाल से अच्छी जान-पहचान है।
उन्होंने लतीफ को अबोध अग्रवाल से संपर्क करके पूरे मामले की जानकारी लेने के लिए लगाया। इसके बाद 4 मई को लतीफ उनसे मिले तो उन्होंने मामले का पटाक्षेप करने के लिए एक लाख रुपये घूस की मांग की। मेरे मना करने पर 9 मई को वह 50 हजार रुपये में मामला रफा-दफा करने को राजी हो गए। उन्होंने 13 मई से पहले घूस की रकम पहुंचाने का निर्देश दिया था। साथ ही कहा कि घूस की रकम न मिलने पर वह उनके विरुद्ध गंभीर दंड की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट भेज देंगे। इसके बाद रवीन्द्र दुबे ने सीबीआई से संपर्क साधा और उनके विरुद्ध कार्रवाई का अनुरोध किया।
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