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2007-12 के बीच बिचौलिए को दिए गए थे ₹65 करोड़ घूस, राफेल डील में एक और सनसनीखेज दावा

भारत के साथ राफेल सौदे के संबंध में फ्रांसीसी खोजी पत्रिका 'मीडियापार्ट' ने गोपनीय रूप से घूस दिए जाने का नया दावा किया है। पत्रिका ने दावा किया है कि फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट...

Shankar Pandit भाषा, नई दिल्लीTue, 9 Nov 2021 08:42 AM
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2007-12 के बीच बिचौलिए को दिए गए थे ₹65 करोड़ घूस, राफेल डील में एक और सनसनीखेज दावा

भारत के साथ राफेल सौदे के संबंध में फ्रांसीसी खोजी पत्रिका 'मीडियापार्ट' ने गोपनीय रूप से घूस दिए जाने का नया दावा किया है। पत्रिका ने दावा किया है कि फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने भारत से यह सौदा हासिल करने में मदद के लिए बिचौलिये सुशेन गुप्ता को गोपनीय रूप से करीब 7.5 मिलियन यूरो यानी 65 करोड़ रुपए का भुगतान किया और देसाल्ट कंपनी को इस घूस की राशि देने में सक्षम बनाने के लिए कथित रूप से फर्जी बिलों का इस्तेमाल किया गया। मीडियापार्ट की पड़ताल के अनुसार, दसॉल्ट एविएशन ने 2007 और 2012 के बीच मॉरीशस में बिचौलिए को रिश्वत का भुगतान किया।      

पत्रिका ने जुलाई में खबर दी थी कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए भारत के साथ 59,000 करोड़ रुपये के अंतर-सरकारी सौदे में संदिग्ध भ्रष्टाचार और पक्षपात की अत्यधिक संवेदनशी, न्यायिक जांच का नेतृत्व करने के लिए एक फ्रांसीसी न्यायाधीश को नियुक्त किया गया है। रक्षा मंत्रालय या दसॉल्ट एविएशन की ओर से इस ताजा रिपोर्ट पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

पत्रिका ने अपनी नयी रिपोर्ट में रविवार को कहा, 'मीडियापार्ट आज कथित फर्जी बिल प्रकाशित कर रही है, जिससे फ्रांसीसी विमान निर्माता दसॉल्ट एविएशन भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की बिक्री को अंतिम रूप देने में मदद करने के लिए एक बिचौलिए को कम से कम 75 लाख यूरो के गुप्त कमीशन का भुगतान करने में सक्षम हो सकी।'

पत्रिका ने आरोप लगाया कि ऐसे दस्तावेजों के होने के बावजूद भारतीय जांच एजेंसियों ने मामले में आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया। रिपोर्ट में दावा किया गया है, 'इसमें अपतटीय कंपनियां, संदिग्ध अनुबंध और फर्जी बिल शामिल हैं। मीडियापार्ट यह खुलासा कर सकती है कि भारत के संघीय पुलिस बल केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के पास अक्टूबर 2018 से इस बात के सबूत थे कि फ्रांसीसी विमानन कंपनी दसॉल्ट ने बिचौलिए सुशेन गुप्ता को गुप्त कमीशन में कम से कम 75 लाख यूरो (करीब 65 करोड़ रुपये) का भुगतान किया था...।'

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह 2016 में 7.8 अरब यूरो के सौदे को हासिल करने के लिए फ्रांसीसी कंपनी के लंबे और अंततः सफल प्रयास से संबंधित था ताकि उसके 36 राफेल लड़ाकू विमान भारत को बेचे जा सकें। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि संप्रग शासन के दौरान रिश्वत का भुगतान किया गया था।

भाजपा के आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने ट्वीट किया, 'दसॉल्ट ने 2004-2013 के दौरान बिचौलिए सुशेन गुप्ता को राफेल बेचने के लिए 1.46 करोड़ यूरो का भुगतान किया। संप्रग रिश्वत ले रहा था, लेकिन सौदे को अंतिम रूप नहीं दे सका। राजग ने बाद में इसे रद्द कर दिया और फ्रांस सरकार के साथ करार किया, जिससे राहुल गांधी परेशान हो गए।'

राजग सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को भारतीय वायु सेना के लिए 36 राफेल जेट विमान खरीदने का सौदा किया था। राफेल सौदे को लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस सरकार पर हमलावर रही है। उसने सरकार पर सौदे में भारी अनियमितता का आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार प्रत्येक विमान को 1,670 करोड़ रुपये से अधिक कीमत पर खरीद रही है, जबकि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने इसे 526 करोड़ रुपये में अंतिम रूप दिया था।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने इस सौदे को लेकर कई सवाल उठाए थे, लेकिन सरकार ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। राफेल निर्माता दसॉल्ट एविएशन और भारत के रक्षा मंत्रालय ने इससे पहले करार में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज किया था। उच्चतम न्यायालय ने 2019 में इस सौदे की जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसके लिए कोई आधार नहीं है।

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