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PULWAMA TERROR ATTACK: घाटी में बढ़ती कट्टरता के साथ बदल रहा आतंक का तरीका

कश्मीर में बड़े आतंकी हमले ने सुरक्षा बलों की चिंता बढ़ा दी है। कश्मीर में आतंकी हमले बहुत होते हैं लेकिन उनमें आत्मघाती हमले सीमित हैं। पिछले दो दशकों में 11 आत्मघाती हमले हुए हैं जिनमें सबसे बड़ा हमला...

PULWAMA TERROR ATTACK: घाटी में बढ़ती कट्टरता के साथ बदल रहा आतंक का तरीका
विशेष संवाददाता,नई दिल्लीFri, 15 Feb 2019 01:37 AM
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कश्मीर में बड़े आतंकी हमले ने सुरक्षा बलों की चिंता बढ़ा दी है। कश्मीर में आतंकी हमले बहुत होते हैं लेकिन उनमें आत्मघाती हमले सीमित हैं। पिछले दो दशकों में 11 आत्मघाती हमले हुए हैं जिनमें सबसे बड़ा हमला 2001 में श्रीनगर सचिवालय के समीप हुआ था। पुलवामा का हमला उससे भी बड़ा है। रक्षा विशेषज्ञ आत्मघाती हमलों के पीछे तेजी से कट्टरता का बढ़ना मानते हैं। 

रक्षा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल राजेन्द्र सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह आत्मघाती हमला बताता है कि आतंकियों में कट्टरता तेजी से बढ़ रही है। चूंकि आत्मघाती को अपनी जान की परवाह नहीं होती है। इस स्थिति के लिए वह तभी तैयार होते हैं जब उनमें कट्टरता कूट-कूट कर भर दी जाए। दूसरे, सुरक्षा बलों के अभियान से वे बौखलाए हैं। इसकी वजह से भी आतंकी संगठन हमलों के तौर-तरीके बदल रहे हैं। 

सिंह के अनुसार कश्मीर में आतंकियों से सहानुभूति रखने वालों की संख्या बढ़ रही है। यह विभिन्न तबकों में है। अलगाववादी तो उनसे सहानुभूति रखते ही हैं। पत्थरबाजों की बढ़ती संख्या भी यही दर्शाती है। सिंह ने कहा कि आज कश्मीर में सबसे पहले जरूरत है कि आतंकियों के साथ सहानुभूति रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो ताकि बढ़ती कट्टरता को रोका जा सके। यदि कट्टरता खत्म नहीं हुई तो आत्मघाती आतंकियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती रहेगी। पाकिस्तान के दखल से भी निपटने की जरूरत है। इसलिए इस समस्या की जड़ों को काटने की जरूरत है। वे कहते हैं कि कट्टरता को खत्म करने के लिए जम्मू-कश्मीर के स्थानीय वातावरण में व्यापक बदलाव लाना होगा। राज्य में विकास होना चाहिए, वह जरूरी है लेकिन आतंकियों एवं उनके समर्थकों चाहे वह कोई भी हो, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी जरूरत है। 

बता दें कि कश्मीर में पिछला बड़ा आतंकी हमला 2001 में सचिवालय के करीब हुआ था जिसमें आत्मघातियों ने कार बम से हमला किया था। उसके बाद से अब तक कुल 11 छोटे-बड़े ऐसे हमले दर्ज किए गए हैं। लेकिन पिछला हमला करीब दस साल पहले 2009 में हुआ था। जिसमें दो पुलिसवाले मारे गए थे। लेकिन पुलवामा का हमला कहीं बड़ा है। 

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