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क्या कांग्रेस बचा पाएगी पुडुचेरी में अपनी सरकार? किरण बेदी के जाने से BJP को मिला मौक? जानें पूरा सियासी अंकगणित

केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में सियासी संकट गहराता दिख रहा है। पहले कांग्रेस का अल्पमत में आना और फिर अचानक उपराज्यपाल किरण बेदी को हटाया जाना, किसी बड़े सियासी उठा-पटक की ओर संकेत करते दिख रहे हैं।...

क्या कांग्रेस बचा पाएगी पुडुचेरी में अपनी सरकार? किरण बेदी के जाने से BJP को मिला मौक? जानें पूरा सियासी अंकगणित
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 17 Feb 2021 12:26 PM
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केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में सियासी संकट गहराता दिख रहा है। पहले कांग्रेस का अल्पमत में आना और फिर अचानक उपराज्यपाल किरण बेदी को हटाया जाना, किसी बड़े सियासी उठा-पटक की ओर संकेत करते दिख रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के पुडुचेरी के दौरे से पहले एक और पार्टी विधायक ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। विधायक ए जॉन कुमार के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री वी नारायणसामी सरकार अल्पमत में आ गई है। जॉन कुमार के इस्तीफे के बाद सरकार और विपक्ष दोनों के पास बराबर विधायक हैं। ऐसे में उपराज्यपाल की भूमिका अहम हो गई है। मगर हैरानी तब हुई जब उपराज्यपाल को ही हटा दिया गया। 

जैसे ही पुडुचेरी में कांग्रेस अल्पमत में आई, ठीक उसी समय राष्ट्रपति ने निर्देश दिया कि किरण बेदी अब पुडुचेरी की उपराज्यपाल नहीं रहेंगी। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन को पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। उपराज्यपाल का पदभार संभालने के बाद से उनकी यह नयी जिम्मेदारी प्रभावी हो जाएगी और वह पुडुचेरी के उपराज्यपाल की नियमित व्यवस्था होने तक इस पद पर रहेंगी। हालांकि, राष्ट्रपति ने नारायणसामी की गुहार के बाद ही यह फैसला लिया है, क्योंकि किरण बेदी और नारायणसामी के बीच कई मुद्दों पर टकराव रहा है।

राजनीतिक उथल-पुथल के बीच विपक्ष ने मौके का फायदा उठाया और उसने यह कहते हुए नारायणसामी का इस्तीफा मांगा कि उनकी सरकार अल्पमत में हैं । लेकिन नारायणसामी ने यह कहते हुए इस्तीफा देने से इनकार कर दिया कि उनकी सरकार को विधानसभा में बहुमत प्राप्त है। अगले कुछ ही महीने में विधानसभा का चुनाव है। हालांकि, अब पुडुचेरी में भी कांग्रेस को ऑपरेशन लोटस का डर होगा, क्योंकि भाजपा ऑपरेशन लोटस के तहत कई राज्यों में सरकारें बना चुकी है।

इधर, जॉन कुमार वर्ष 2019 के उपचुनाव में कामकाज नगर सीट से जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। जॉन कुमार मुख्यमंत्री वी नारायणसामी से करीबी माने जाते थे। उपचुनाव में टिकट दिलाने में मुख्यमंत्री ने अहम भूमिका निभाई थी। ऐसे में जॉन कुमार का इस्तीफा नारायणसामी के लिए झटका है। कांग्रेस के अब तक चार विधायक सदस्यता से त्यागपत्र दे चुके हैं। अब कांग्रेस और भाजपा में एक-दूसरे के विधायकों को तोड़ने की होड़ लगने की संभावना ज्यादा है।

क्या है सियासी गणित
वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 सीट मिली थी। पार्टी ने डीएमके के तीन और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन से सरकार बनाई थी। पर पिछले कुछ दिनों में पार्टी के चार विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। जबकि कांग्रेस विधायक एन धनवेलु को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की वजह से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। ऐसे में पार्टी के पास सिर्फ दस विधायक हैं। दूसरी तरफ, अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस के पास सात, एआईडीएमके के पास चार और उपराज्यपाल की तरफ से विधानसभा में नामित भाजपा के तीन विधायक हैं। इस तरह विपक्ष और सरकार दोनों के पास 14-14 विधायक हैं। इस बीच, कांग्रेस से त्यागपत्र देने वाले नमसिवम और थेप्पेनथान भाजपा में शामिल हो चुके हैं। माना जा रहा है कि पिछले दो दिनों में इस्तीफा देने वाले मल्लादी कृष्णा राव और ए जॉनकुमार भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं।

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