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ईरान में फंसे भारतीयों की फ्लाइट का कमांडर बनने का फख्र पूरी जिंदगी रहेगा: कैप्टन श्याम

“नौकरी करने के लिए तो बतौर पायलट 10 हजार घंटे तक विमान उड़ा चुका हूं लेकिन जब ईरान में फंसे अपने देशवासियों को दिल्ली से जैसलमेर लेकर गया तो दिल में अलग ही जज्बा था। लगा कि मानो पहली बार नौकरी...

ईरान में फंसे भारतीयों की फ्लाइट का कमांडर बनने का फख्र पूरी जिंदगी रहेगा: कैप्टन श्याम
श्रद्धा जैन,नई दिल्लीWed, 01 Apr 2020 01:09 PM
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“नौकरी करने के लिए तो बतौर पायलट 10 हजार घंटे तक विमान उड़ा चुका हूं लेकिन जब ईरान में फंसे अपने देशवासियों को दिल्ली से जैसलमेर लेकर गया तो दिल में अलग ही जज्बा था। लगा कि मानो पहली बार नौकरी के लिए नहीं बल्कि अपने देश के लिए विमान उड़ा रहा हूं। वैसे भी ऐसा मौका ना तो जिंदगी में हर किसी को मिलता है और ना बार-बार मिलता है।” ये कहना है कैप्टन श्याम नारायण का। दिल्ली बेस पर पोस्टेड श्याम ने हाल के दिनों में एक ऐसा काम किया है, जिसके लिए वे पूरी जिंदगी फख्र महसूस कर सकते हैं। 

कोरोना प्रभावित देश ईरान से आए 65 यात्रियों को ले जाने वाले एयरबस-32० के कमांडर रहे कैप्टन श्याम ने आईएएनएस से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, “हमें ऐसे लोगों को लेकर जाना था, जिनके बारे में हम नहीं जानते थे कि उनमें से कितने और कौन-कौन संक्रमित हैं। ऐसे में इन सभी को सुरक्षित ले जाने के अलावा अपने कू्र की सुरक्षा का ध्यान रखना भी मेरी जिम्मेदारी थी।”

इस फ्लाइट को सुरक्षित ले जाने के लिए उन्होंने क्या रणनीति बनाई, इस बारे में कैप्टन श्याम बताते हैं, “मैंने रात ढाई बजे से ही इसकी तैयारी शुरू कर दी थी। सबसे पहले अपने को-पायलट तुपुस शमार् को फोन किया और उससे पूछा कि क्या वो जानते हैं कि हम क्या काम करने वाले हैं?” दरअसल, उसे केवल वीआईपी फ्लाइट लेकर जाने की बात बताई गई थी। फिर मैंने उसे जानकारी दी और जल्द से जल्द एयरपोर्ट पहुंचने को कहा। 

“तड़के 4 बजे हम एयरपोर्ट पहुंच चुके थे। केबिन क्रू के सभी सदस्योंे को कोविड-19 वायरस से बचाने के लिए डॉक्टरों द्वारा दी गई ड्रेस और बाकी सुरक्षा उपकरण देकर तैयार किया। बाकी लोगों ने भी सेफ्टी गार्डस पहने। मदद के लिए एक कमर्शियल स्टाफ और एक इंजीनियरिंग स्टाफ भी हमारे साथ गया था।” उन्होंने कहा, “यात्रियों से हमारे क्रू की सुरक्षित दूरी बनी रहे इसके लिए हमने सभी पैसेंजर की सीट पर पानी और खाने का सामान पहले ही रख दिया। केबिन कू के आधे सदस्यों को विमान में आगे और आधे को पीछे रखा। ताकि इमरजेंसी होने पर यदि उन्हें यात्री के पास जाना पड़े तो वे कम से कम यात्रियों के पास से गुजरें। फिर हम एयरक्राफट को टो करके रनवे पर ले गए। वहां ईरान की एयरलाइन से हमारे भारतीय नागरिक आ चुके थे। ”

“इन यात्रियों में स्टूडेंट ज्यादा थे और कुछ तीर्थयात्री भी थे। उनमें आधी महिलाएं थीं और सभी यात्री युवा थे। यानी कि मुझ पर इतनी युवा जिंदगियों की जिम्मेदारी थी।“ इसके बाद 2 मीटर की दूरी रखते हुए यात्री विमान में चढ़े। जाहिर है जिन हालातों में ये लोग ईरान से आए थे, वे सब डरे हुए थे। जब हमने इंटरकॉम से घोषणा की कि हम उन्हें सुरक्षित जैसलमेर लेकर जाएंगे और भारतीय सेना वहां उनकी पूरी देखभाल करेगी। तब वो थोड़ा रिलेक्स हुए। ”

“सवा घंटे की उड़ान के बाद हम जैसलमेर पहुंचे। वहां सिविल एयरपोर्ट नहीं है। हम डिफेंस के एयरपोर्ट पर पहुंचे, मैं भी वहां पहली बार गया था। वहां जाकर देखा कि सेना ने बहुत अच्छी तैयारी की थी। हमने अनाउंस किया कि सेना के निदेर्शों के अनुसार यात्री उतरेंगे। सेना ने 5-5 यात्रियों को भेजने के लिए कहा। वे उन सभी की अच्छे से जांच करते थे, फिर अगले 5 यात्रियों को बुलाते थे। एक घंटे से ज्यादा समय में सभी यात्री और उनका सामान उतरा। इसके बाद हम खाली विमान लेकर वापस दिल्ली आ गए। लेकिन इन कुछ घंटों ने वो दिया, जो मुझे पूरी जिंदगी याद रहेगा।”

इस दौरान उनके परिवार की क्या प्रतिक्रिया रही, इस पर कैप्टन श्यााम बताते हैं, “उस रात केवल मैं ही नहीं मेरी मां और छोटा भाई भी पूरी रात जागा था। दरअसल, किसी की जान बचाते हुए एक हादसे में मेरे नानाजी की जान चली गई थी इसलिए मेरी मां पहले डर रही थी। लेकिन फिर वह भी खुश हुई कि मुझे अपने देश के लिए कुछ करने का मौका मिला है।”

यहां एक बात खास है कि संकट के इस समय में दुनिया के कोरोना प्रभावित देशों में फंसे नागरिकों को निकालने के लिए गए एयरइंडिया के पायलट और पूरे स्टॉफ का अहम योगदान रहा। और उनकी खासी सराहना भी हो रही है। जबकि घाटे में चल रही एयरइंडिया के स्टाफ को एक महीने से सैलरी और दो महीने से अलाउंस नहीं मिला है। इन्हें हर महीने मिलने वाली राशि में 30 फीसदी सैलरी और 70 फीसदी अलाउंस होते हैं। 

इसके बाद भी बिना किसी शिकायत के पूरा एयरइंडिया अपनी जान पर खेलकर खुशी-खुशी अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। इतना ही नहीं इन्होंने अपनी ओर से सरकार को ऑफर भी दिया है। कैप्टन श्याम, इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएश्न के उत्तरी क्षेत्र के सचिव भी हैं। वो बताते हैं, “हमने सरकार को पत्र लिखा है कि जहां कहीं भी हमारे नागरिक फंसे हैं, उन्हें निकालने के लिए हम बिना शर्त जाने के लिए तैयार हैं। अभी भी जरूरी सामानों की सप्लाई के लिए कागोर् फ्लाइट संचालित हो रही हैं। ”बता दें कि अब तक करीब एक दर्जन से ज्यादा उड़ानों की मदद से एयरइंडिया विभिन्न देशों में फंसे डेढ़ हजार से ज्यादा भारतीयों को निकाल चुकी है। 

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