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किसानों को मिली दिल्ली में घुसने की इजाजत, निरंकारी समागम मैदान पर करेंगे प्रदर्शन

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 'दिल्ली चलो' मार्च के तहत राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ कर रहे किसानों को आखिर दिल्ली में दाखिल होने की इजाजत दे दी गई है। इन्हें बुराड़ी इलाके...

किसानों को मिली दिल्ली में घुसने की इजाजत, निरंकारी समागम मैदान पर करेंगे प्रदर्शन
हिन्दुस्तान,नई दिल्लीFri, 27 Nov 2020 03:11 PM
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केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 'दिल्ली चलो' मार्च के तहत राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ कर रहे किसानों को आखिर दिल्ली में दाखिल होने की इजाजत दे दी गई है। इन्हें बुराड़ी इलाके में निरंकारी समागम मैदान पर प्रदर्शन की मंजूरी मिल गई है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने इसकी पुष्टि की है। पंजाब के किसानों के संगठनों ने भी बताया कि केंद्र सरकार ने उन्हें दिल्ली में दाखिल होने और बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन करने की मंजूरी दे चुकी है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा, ''हमें दिल्ली में दाखिल होने की अनुमति मिली हुई है।'' उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने उन्हें दिल्ली के बुराड़ी में एक स्थान पर प्रदर्शन करने की अनुमति दी थी।

दिल्ली पुलिस के पीआरओ ईश सिंघल ने कहा, ''किसान नेताओं के साथ चर्चा के बाद दिल्ली पुलिस ने बुराड़ी में किसानों को निरंकारी समागम मैदान पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की इजाजत दी है। हम उनसे अपील करते हैं कि दूसरों को कोई दिक्कत ना इसके लिए शांति बनाए रखें।'' इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों को दिल्ली जाने की इजाजत मिलने के बाद कहा, ''प्रदर्शन के लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए किसानों को जाने की इजाजत देने के केंद्र सरकार के फैसले का मैं स्वागत करता हूं। अब किसानों की चिंता दूर करने के लिए उन्हें तुरंत बातचीत करनी चाहिए।''

इससे पहले किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर कहीं आंसू गैस के गोले दागे, तो कहीं पानी की बौछारें कीं। दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर पहुंचे किसानों के एक समूह पर आंसू गैस के गोले दागे, जबकि टीकरी बॉर्डर पर सुरक्षा कर्मियों ने किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में आने से रोकने के लिए उन पर पानी की बौछारें की। सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा कर्मियों द्वारा आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किए जाने के बाद वहां घना धुआं देखा गया।

वहीं टीकरी बॉर्डर पर किसानों की पुलिस से झड़प हो गई और उन्होंने अवरोधक के तौर पर लगाए ट्रक को जंजीरों (चैन) के जरिए ट्रैक्टर से बांध वहां से हटाने की कोशिश की। पंजाब से दिल्ली आने के सीधे मार्ग सिंघु बॉर्डर पर किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल होने से रोकने के लिए कई तरह के अवरोधक लगाए गए थे। सीमावर्ती इलाकों में प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए सुरक्षा कर्मी ड्रोन का इस्तेमाल भी कर रहे हैं।

पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ''हम किसानों को प्रदर्शन करने से रोकने के लिए आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम उन्हें यह भी बता रहे हैं कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर किसी प्रकार की रैली करने या धरना देने की अनुमति नहीं है।मार्च के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने आप सरकार से शहर के 9 स्टेडियम को अस्थायी जेल बानाने की अनुमति भी मांगी। थी, लेकिन केजरीवाल सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी।

प्रदर्शन के कारण शहर के कई इलाकों में यातायात भी प्रभावित हुआ है। राष्ट्रीय राजधानी सीमाओं से लगे कई स्थानों पर यातायात का मार्ग बदल दिया गया है। दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर वाहनों की तलाशी भी बढ़ा दी गई है, जिससे वहां जाम लग गया है। दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर सीआईएसएफ के कर्मियों को भी तैनात किया गया है। दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्वीट कर लोगों से रिंग रोड, मुकरबा चौक, जीटीके रोड, एनएच- 44 और सिंघु बॉर्डर की बजाय दूसरे रास्तों से गुजरने की अपील की।

उसने कहा, ''अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की रैली /मार्च/प्रदर्शन के मद्देनजर यातायात पुलिस मुकरबा चौक और जीटीके मार्ग से यातायात को परिवर्तित कर रही है। दिल्ली यातायात पुलिस ने यह भी बताया कि टीकरी बॉर्डर पर भी स्थानीय पुलिस ने यातायात को पूरी तरह रोक दिया है। तीस से अधिक किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले पंजाब के किसानों ने घोषणा की थी कि वे लालडू, शंभु, पटियाला-पिहोवा, पातरां-खनौरी, मूनक-टोहाना, रतिया-फतेहाबाद और तलवंडी-सिरसा मार्गों से दिल्ली की ओर रवाना होंगे।  

'दिल्ली चलो' मार्च के लिए किसान अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर राशन और अन्य आवश्यक सामान के साथ एकत्रित हो गए हैं। हरियाणा सरकार ने किसानों को प्रदर्शन के लिए एकत्रित होने से रोकने के लिए कई इलाकों में सीआरपीसी की धारा 144 भी लागू कर दी है।  किसान नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नये कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। 

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